आज दीपावली है, घरों में रंग-बिरंगी रोशनी है, बच्चे खुशी से चहक रहे हैं, बड़े घर में होने वाली पूजा आदि के लिए सामानों की खरीददारी में लगे हैं, घर की महिलायें दीपावली को सुखद, पावन बनाने के लिए प्रयासरत हैं. कुल मिला कर सभी लोग किसी न किसी रूप में व्यस्त हैं. आप-हम भी व्यस्त हैं पर क्या इस व्यस्तता के बीच एक-दो पल को समय निकल कर दीपावली की सार्थकता के बारे में विचार करेंगे?
विचार बस इतना है कि इस दीवाली पर भी हजारों-हजार रुपये के पटाखे फोड़ दिए जायेंगे, अन्य दूसरे तरह की आतिशवाजी में भी पैसे को खर्च किया जायेगा, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के नाम पर कुछ लोग जुए में हजारों रुपये की हारा-जीती करेंगे. आपको क्या लगता है ये सब होना चाहिए?........अरे साहब होना ही चाहिए, आख़िर वर्ष-वर्ष का त्यौहार है.......पार्टी, मस्ती, हंगामा, धमाल सब कुछ जो भी हो सकता है वो होना चाहिए।
बिल्कुल सही, आख़िर खुशी का त्यौहार है, खुशी मनाई भी जानी चाहिए पर आतिशबाजी को फोड़ते हुए एक पल को रुक कर सोचिये कि क्या उसको इस समय खुशी मिल रही होगी जिसने अपने बेटे को किसी जातिवाद, क्षेत्रवाद के जहर के कारण खोया है?
- क्या उस व्यक्ति को खुशी मिल रही होगी जिसके घर में पिछले तीन-चार वर्षों से खाने को कुछ भी हुआ नही है?
- क्या वे लोग इस त्यौहार को खुशी से मना सकते हैं जिन्हों ने आतंकवाद के धमाके में अपने परिवारीजनों को खोया है?
- क्या वे लोग खुशी का अनुभव कर सकते है जिन्हों ने किसी न किसी दूषित वातावरण के कारण अपने आपको या अपने ख़ास को बीमार बना दिया है?
- क्या वो इस समय खुशी मनायेगा जिसका कोई अपना किसी की लापरवाही के कारण मौत का शिकार हो गया है?
ज़रा सोचिये............अरे....अरे.......अरे.......आप तो वाकई इतना सोचने लगे? इतना भी सोचने की जरूरत नहीं क्योंकि इतना सोचने के बाद भी कुछ नहीं होता...........सिवाय सोचने के. यदि वाकई आप इन लोगों के लिए कुछ (कुछ भी) करना चाहते हैं, अपनी खुशियों का सही आनंद उठाना चाहते हैं तो इस दीपावली पर एक छोटा सा संकल्प कर लीजिये और उसको हर वर्ष निभाइए। फ़िर देखिये आपके त्यौहार, आपके उमंग, आपकी खुशी की मात्रा और कितनी अधिक बढ़ जाती है.
- बस करिए ये कि आप संकल्प करिए हर वर्ष दीपावली के दिन एक पौधा लगाने का।
- आप तमाम तरह की मिठाई खाते-खिलाते हैं, अनेक व्यंजन आप और आपके महमान खाते हैं प्रतिवर्ष किसी भी भूखे को भरपेट भोजन कराइए.
- हजारों रुपये की आतिशबाजी को फोड़ने के साथ-साथ कुछ थोड़ी सी आतिशबाजी उस बच्चे-बच्ची को भी दे दे जिसका कोई नहीं है तो आपको अपनी आतिशबाजी में और भी रंग नजर आयेंगे।
- देवी-देवता किसी भी तरह से जुआ खेलने से प्रसन्न नहीं होते, आप भी जुआ न खेलें, भले ही आप हमेशा जीतते हों बस ये करें कि जितना भी जीतने कि गुंजाईश हो उतने रुपये से किसी गरीब छात्र-छात्रा की स्कूल फीस भर दे, उनको पुस्तक आदि खरीदवा दे, आप पर वाकई लक्ष्मी जी मेहरबान हो जायेंगी।
और भी बहुत कुछ है जो आप कर सकते हैं बस थोड़ा सा इस तरफ़ भी सोचिये. अपनी खुशी को कम न करिए, अपनी आतिशबाजी को कम न करिए, अपने दीयों की रोशनी को कम न करिए पर साथ में उनका भी ख्याल रखिये जो ये सब नहीं कर सकते. करके देखिये ऐसा, वाकई बहुत आनद आएगा.
आप सबको आपके परिवार सहित दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
ऊपर अपने मन की बात कुछ बस यूँ ही लिख दी है आपको अच्छा लगे तो अवश्य संकल्प करिए अन्यथा आप पटाखे तो फोड़ ही रहे हैं, लोग उनकी धमक और रोशनी तो देख ही रहे हैं................
अच्छे विचार..
जवाब देंहटाएंदीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं
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