वर्तमान समय विश्वास-अविश्वास के मध्य अपनी स्वीकार्यता को तलाश कर रहा है. एक व्यक्ति पर भरोसा है तो दूसरे पर भरोसा नहीं. व्यक्ति-व्यक्ति की स्थिति में परिवर्तन आया है. समय का चक्र अनेक परिवर्तन करवाता है और इसी कारण लोगों की सोच में, कार्यशैली में, व्यवहार में परिवर्तन आता है. इसका बहुत सरल उदहारण एक बड़े प्रसिद्द गीत से दिया जा सकता है "बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ, आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ" जिस कालखंड में ये गीत लिखा गया था उस समय इस गीत को लिखने, उसे गुनगुनाने के पीछे निश्चय ही पवित्र धारणा काम कर रही होगी पर आज इस गीत के क्या मायने लगाये जाते हैं (हास्य-व्यंग्य के कार्यक्रमों की देन है ये) कि आदमी होकर आदमी से प्यार.............??????? ये अन्तर सोच का है।
इस पोस्ट के लिखने के पीछे भी एक सोच काम कर रही थी। अपने ब्लॉग विचरण के दौरान एक ब्लॉग पर ताला बना देखा। जो आपके पेज को सुरक्षित रखता है। सुरक्षित इस रूप में कि कोई आपकी पोस्ट के मैटर को चुरा न सके। किसी मायने में तो ये सोच सही है पर किसी रूप में ये कतई सम्भव नहीं है. आख़िर जिसे मैटर चुराना होगा तो वो सीधे-सीधे न चुरा कर उसकी प्रिंट कोपी निकाल कर मैटर चुरा लेगा. ये तो हुई सोच, अब यही सोच पढ़े-लिखे लोगों पर भी लागू होती है. पढ़े-लिखे लोग ही इस तरह की चुरा-चुराई की हरकतें ज्यादा करते हैं. वैसे चुराने की सोच, रोकने की कवायद हमारी समझ से इसलिए भी परे है कि शब्दों के थोड़े से हेर-फेर से समूचा लेख, कविता, कहानी आदि कुछ भी बदल जाता है, अब कहाँ रह गया ताला और कहाँ रह गया सर्वाधिकार का फंदा. शब्द तो उतने ही हैं, विचार अनेक हैं, शब्दों की क्रमबद्धता ज्यादा है तो बस किसी भी लिखे को उठाइये और कर दीजिये कुछ शब्दों को इधर से उधर और कहिये कि क्या खूब लिखा है हमने.
एक दो-चार लाइन का उदाहरण देख लीजिये-
सितारों को जमीन पर सजाने की हसरत है हमारी।
नदियों के रुख को मोड़ने की हसरत है हमारी॥
अब इसी का चोरी किया रूप भी देख लीजिये-
जमीन पर सितारे सजाने की, हसरत है हमारी।
रुख नदियों का मोड़ने की, हसरत है हमारी॥
क्या ये सर्वाधिकार या कोपी राईट का उल्लंघन है? नक़ल तो की ही गई, चोरी तो की ही गई।
वैसे वो ताला हम भी लगाए हैं, जो लोग उसको लगाना चाहें वो वहाँ से उससे सम्बंधित लिंक पर जा सकते हैं।
दीपावली की आपको एवं आपके परिवार को शुभकामनाएं।
करिए कुछ ऐसा की आने वाला समय भयावह न हो कुछ इस तरह हास्यास्पद........और भयावह
वत सावित्री की पूजा करतीं स्त्रियाँ (न संभले तो आने वाले कल की सच्चाई)
aap ko bhi diwali ki hardik subhkamnayein.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने/ पर ये भी सही है कि असली तो असली है् और कापी की हुई में असलियत कंहा?
जवाब देंहटाएंदीपावली के इस शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें/
भाई
जवाब देंहटाएंअपने घर में सामान इधर से उधर रख देने में चोरी कैसी..कहीं आप हमसे दूरी तो नहीं साधना चाहते ऐसा कह कर कि उड़न तश्तरी से चुराया है. :)
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.