13 अक्टूबर 2008

चमत्कार हो गया सर झुकाओ

आइये मिल कर गर्व करें। अजी पूछ रहे हैं कि किस बात का? आपको नहीं पता कि सिस्टर अलफोंसा अब संत बन गईं हैं. केरल में जन्मीं अलफोंसा को संत की उपाधि वेटिंकन सिटी में प्रदान की गई. खुशी की बात इसलिए है कि गिरजाघरों के दो सौ वर्षों के इतिहास में ये पहली बार है जब किसी महिला को संत का दर्जा दिया गया. इन्हें पॉप जोन पाल द्वितीय द्वारा 1986 में धन्य घोषित किया गया था. आज से लगभग 55 वर्ष पूर्व शुरू हुई संत बनने की प्रक्रिया के बाद वे अब संत बन पाईं.

शायद आपको याद हो कि मदर टेरेसा भी धन्य घोषित हो चुकीं हैं और उनके एक चमत्कार का इन्तजार है और वे भी संत घोषित कर दीं जायेंगी. सिस्टर अलफोंसा ने एक चमत्कार जो विशेष माना गया वो ये किया कि उनकी प्रार्थना से एक लकवे का मरीज पूरी तरह ठीक हो गया था. क्या ऐसा सम्भव है? क्या बिना इलाज के किसी लकवे के मरीज का मात्र दुआओं के असर से ठीक हो जाना वास्तविकता है? ये सवाल इसलिए क्योंकि मदर टेरेसा के नाम पर जो चमत्कार है वो एक महिला के पेट का ट्यूमर उनकी फोटो को पेट पर रखने मात्र से ठीक हो जाना है.

वैसे हिन्दू धर्म में ये बहुत होता है पर सब ढोंग करार दिया जाता है. यही धर्मात्मा और बुद्धिजीवी (मेरी नजर में बुद्धिभोगी) जय-जयकार कर रहे हैं सिस्टर के संत बनने की. यदि ईसाई धर्म में ये चमत्कार सम्भव है तो हिन्दू धर्म में होते चमत्कार ढकोसले कैसे? ज्यादा नहीं लिखेंगे नहीं तो हिदू समर्थक होने के कारण साम्प्रदायिक का लेवल चिपका दिया जायेगा और यहाँ लिखा हुआ बेकार जायेगा।

इस चमत्कार पर चाँद लाईनें

तुम्हारा खून, खून,
हमारा खून पानी.
हम करें तो पाप,
तुम करो तो नादानी.

8 टिप्‍पणियां:

  1. सही लिखा है आपने .
    हिंदू के चमत्कार ढकोसले और उनके चमत्कार की जय जय कार . यही तो वोट बैंक रुपी धर्म निरपेक्षता है .

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  2. मैं आपसे सहमत हूं । ये वोटो के लिये ही है । ईसाइ धर्म को महान बताना इस लिये जरूरी है क्यों की इन लोगों को उनके वोट व सहमती चाहीये। दूसरी बात यह भी है कि धनाडय देशों का पैसा भी तभी मिल पाता है जब उनके धर्म को महान कहते है।

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  3. सही कहा.. ये दकियानुसी है..

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  4. जहाँ हर गली नुक्कड़ में चमत्कार होते हो, इन्हे उस भारत की पहली संत बताया जा रहा है. कमाल ही है.

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  5. इस पर तो मीडिया वाले खूब दिखा रहे हैं और न जाने अब सनत जी कहाँ चले गए हैं, धर्म-निरपेक्ष राजनीतिज्ञ भी न जाने कहाँ छुप गए हैं.

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  6. आपकी बात से पूर्ण सहमत है, ये टोटके करते है तो लोग संत बन जाते है, जब हमारे यहॉं चमत्कार होता है तो इनके सभ्य समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है।

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  7. बड़ी सरल ठगनीति है. यह वैटिकन भारत में ढोंग फैलाकर भोलेभाले लोगों को उल्लू बनाने और उनको फ़िर इसाई बनाने की चाल है.

    इसी तरह का ढोंग हमारे गाँव के पास के एक इसाई स्कूल में करते थे. गाड़ी चालू कराने के लिए बच्चों से धक्का लगवाते थे. पहले कहते थे बोलो 'जे श्रीराम ' गाड़ी स्टार्ट नहीं होती थी ; फ़िर कहते थे बोलो 'जे बजरंगबली' फ़िर गाड़ी चालू नहीं होती थी. फ़िर कहते थे 'जय क्रिस्तु' और गाड़ी फुर से चालू. बच्चों को ये चाल जल्दी ही समझ आ गयी . बात अभिवावकों तक पहुँची. जमकर पिटायी हो गयी.

    इसी तरह का पाखण्ड और झूठ ये 'चंगाई समारोहों' में करते हैं. मैंने कई बार इसे नजदीक से देखा है और भीड़ के बीच में इनके 'प्लांटेड' लोगों को झूठ बोलते हुए सुना है. लेकिन यह फ़िर कभी.

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