आरक्षण की हवा देश को हमेशा गर्म बनाये रखती है. इस गरमी में कई होनहार जल कर भस्म हुए, कई जरूरतमंद अपनी मंजिल न पा सके. राजनीती के खेल ने अच्छी-भली सूरते-हाल को बिगाड़ कर रख दिया है. क्रीमी लेयर के नाम पर एक बार फ़िर आरक्षण की आग हमारे चारों तरफ़ सुलग रही है. आप भी इस आग की तपिश महसूस करें इस जनमत के द्वारा, जो शुरू हुआ है हमारे सभी ब्लॉग पर एक साथ, आपकी राय जानने के लिए.पोल यहाँ-यहाँ है-
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अच्छा हमारी एक पुरानी गज़ल का शेर सुनो....
जवाब देंहटाएंवोट की खातिर आज उसने फिर दलित की थाह ली
कितने अरमानों की अबके, खुदकुशी हो जायेगी......
बहुत सही...