एनपीएस को लेकर जो संघर्ष जुलाई 2024 में शुरू किया था, वह आज तक चल रहा है. मौखिक और लिखित
निवेदनों के बाद भी असर न हुआ तो उच्चाधिकारियों को,
मंत्रालयों को लिखा गया. इसके बाद भी कान में जूँ न रेंगने जैसी स्थिति दिखाई पड़ने
के बाद नवम्बर 2024 में लीगल नोटिस का सहारा लिया गया. इसके परिणामस्वरूप दिसम्बर
2024 में एनपीएस की धनराशि सम्बंधित खातों में प्रदर्शित होने लगी. ये और बात है
कि मई 2017 से होती आ रही कटौती वाले समय से लेकर मई 2023 तक की धनराशि खातों में
प्रदर्शित होने लगी.
इस पूरी लिखा-पढ़ी के दौरान विपक्षी गुट की तरफ से हर तरफ यही कहा जाता रहा कि
सरकारी पैसा है, जब काटा
जा रहा है तो एक न एक दिन मिलेगा ही, कुमारेन्द्र अनावश्यक
रूप से प्राचार्य को परेशान कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ अब फिर कहा जाने लगा है
क्योंकि अब हमारे द्वारा फिर से मई 2023 के बाद की एनपीएस धनराशि की बात की जाने
लगी है. पिछले संघर्ष की आंशिक सफलता के बाद बहुत से लोग सम्पर्क में आये और बहुत
से लोगों से हमने भी सम्पर्क किया जो अभी तक एनपीएस से वंचित बैठे हैं. ऐसे लोग
इसलिए संघर्ष, लिखा-पढ़ी नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनका भी
मानना है कि सरकारी कटौती हो रही है, किसी न किसी दिन तो
पैसा मिलेगा ही या फिर वे सीधे-सीधे प्राचार्य से नहीं टकराना चाह रहे.
इस विषय में अपने यहाँ के ऐसे लोगों को और बाहरी लोगों को जो ये समझते हैं कि
सरकारी धन है किसी न किसी दिन मिलेगा ही, वे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. पिछले दिनों इसी
सन्दर्भ में जब वर्तमान की कटौती का लोगों की सेवा-अवधि के सन्दर्भ में वापसी वाला
धन दिखाया तो बहुतेरों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी थीं. ये सभी को स्पष्ट है कि
एनपीएस कटौती वाली धनराशि को शेयर बाजार में लगाया जाता है. शेयर बाजार के अनुसार
ही इसमें भी लाभ-हानि मिलना है. इसका लाभ उसी स्थिति में मिलना है जबकि धनराशि
उचित समय पर शेयर बाजार में लगती रहे. अभी बहुत सी जगहों पर हो ये रहा है कि या तो
लोगों की एनपीएस कटौती वाली धनराशि ट्रेजरी में ही रुकी पड़ी है या फिर वे बहुत
ज्यादा देरी से उचित खातों में पहुँच रही है.
ये पोस्ट विशेष रूप से उन्हीं लोगों के लिए है जो अपने-अपने यहाँ के
प्राचार्यों के पक्ष में खड़े होकर शोशेबाजी करने में लगे हैं कि सरकारी पैसा है एक
न एक दिन मिलेगा ही. सोचिए यहाँ एक पल को रुककर कि मई 2023 के बाद की धनराशि यदि
अपने समय पर प्राप्त हो गई होती तो उसका उचित मूल्य शेयर बाजार की स्थिति को देखते
हुए मिल गया होता. जून 2023 की धनराशि अब नवम्बर 2025 में मिलेगी तो इस बीच की
अवधि का मिलने वाला लाभ तो मारा ही गया. याद रहे कि यहाँ पर जो भी बढ़ोत्तरी होती
है वह चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में होती है. अपने घाटे का आकलन आप सभी लोग स्वयं
करें.

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