अंततः अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सकारात्मक हस्तक्षेप के पश्चात् इजरायल-हमास के बीच
संघर्ष विराम हो ही गया. अमेरिकी राष्ट्रपति की बीस सूत्री शांति योजना के रूप में
इजरायल और हमास शांति बनाये जाने पर सहमत होने के साथ एक-दूसरे के बंधकों को छोड़े
जाने पर भी सहमत हो गए. विगत दो वर्षों से चले आ रहे इस युद्ध से अब गाजा में
फिलिस्तीनियों को राहत मिलेगी. हमास के आतंकी हमले के विरोध में जवाबी कार्यवाही
करते हुए इजराइल ने अक्टूबर 2023 को युद्ध शुरू किया था. इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमेशा से ही अपनी
पूर्ण विजय प्राप्त करने की नीति के लिए वैश्विक स्तर पर जाने जाते रहे हैं. अपनी
इसी छवि के चलते उन्होंने युद्ध जैसी कार्यवाही शुरू करने के साथ ही इस्लामी
आतंकवादी संगठन हमास को नेस्तनाबूद करने का संकल्प लिया था. उनके इस संकल्प के
चलते ही विगत दो वर्षों में गाजा एक तरह के मलबे में बदल चुका है. हमास द्वारा
किये गए हमले में एक हजार से अधिक इजराइली नागरिक मारे गए थे और लगभग ढाई सौ के
आसपास नागरिकों को बंधक बना लिया गया था. तबसे चली इजराइली जवाबी कार्यवाही में लगभग
सत्तर हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं.
शांति का नोबेल
पुरस्कार पाने की जबरदस्त आकांक्षा रखने और आखिर में निराशा हाथ आने के बाद
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल-हमास संघर्ष विराम के द्वारा खुद को सफल साबित करने
का प्रयास किया. चूँकि इजराइल शुरूआती दौर से ही अमेरिका प्रभावित रहा है और यह भी
माना जा रहा था कि विगत कुछ समय से अमेरिकी राष्ट्रपति इजराइली प्रधानमंत्री
नेतन्याहू से इस युद्ध को लेकर नाराज से चल रहे थे. इसके पीछे का कारण इजराइल
द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति के शांति प्रयासों को कमजोर करना बताया जा रहा था. इजराइल
और हमास में संघर्ष विराम की स्थिति बनने के पश्चात् इधर हमास द्वारा इजराइल के
बीस बंधकों को रिहा भी कर दिया गया है उधर इजराइली सैनिकों ने दक्षिण में राफा से
लेकर उत्तर में सीमावर्ती गाजा शहर तक प्रारम्भिक वापसी रेखा की ओर हटना शुरू कर
दिया है. इजराइल की तरफ से भी लगभग दो हजार फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने का
विश्वास व्यक्त किया गया है.
निश्चित रूप से
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प इस संघर्ष विराम के मुख्य सूत्रधार रहे हैं. यहाँ एक
बात को ध्यान में रखना होगा कि हमास आरम्भ से ही एक अनसुलझी समस्या बना रहा है.
ऐसे में इस संघर्ष विराम की अवधि कितनी लम्बी हो सकेगी इस पर संशय के बादल समझौते
के तत्काल बाद से नजर आने लगे हैं. इजराइल और हमास के बीच समझौता भले हो चुका को
किन्तु हमास के निरस्त्रीकरण, गाजा के शासन और फिलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने जैसे जटिल
मुद्दे अभी भी ज्यों के त्यों बने हुए हैं. हमास के निरस्त्रीकरण को लेकर अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उसे चेतावनी देते हुए कहा है कि उन्हें अपने हथियार
छोड़ने होंगे. अगर हमास ऐसा नहीं करता है तो अमेरिका कार्यवाही करेगा.
देखा जाये तो यह संघर्ष
विराम फिलिस्तीनियों, बंधकों
और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है. बावजूद इसके गाजा में स्थायी शांति की
स्थापना अभी भी बहुत बड़ा सवाल बना हुआ है. हाल-फिलहाल यह संघर्ष विराम डोनाल्ड ट्रम्प
की योजना का आरम्भिक चरण मात्र है, जिसमें गाजा को एक अंतरराष्ट्रीय शासन निकाय के
अधीन रखने और उसकी सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती का भी प्रावधान
किया गया है. इसे लेकर हमास ने बीस बंधकों को तो रिहा कर दिया है किन्तु अन्य
शर्तों पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है. गाजा में स्थायी शांति स्थापना में एक
बहुत बड़ा अवरोध गाजा में इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) की लगातार, नियमित रूप से बनी रहने वाली उपस्थिति भी है. संघर्ष विराम समझौते के
अनुसार होने वाली सैन्य वापसी के बाद भी गाजा का पचास प्रतिशत से अधिक भाग आईडीएफ के
नियंत्रण में रहेगा.
इजराइल-हमास
संघर्ष विराम निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय फलक पर एक सकारात्मक घटनाक्रम है लेकिन
क्या यह संघर्ष विराम इजराइल और फिलिस्तीन के बीच की खाई को पाटकर स्थायी शांति बना
सकेगा? इजराइल का कहना
है कि हमास अपने हथियार छोड़े. जब तक उसकी सैन्य शक्ति खत्म नहीं होगी तब तक इस अभियान
को पूरा नहीं माना जाएगा. इसके उलट हमास सशस्त्र प्रतिरोध को अपना अधिकार बताता है.
इसकी सम्भावना भी नगण्य है कि हमास खुद को समाप्त किये जाने की माँग को स्वीकार करेगा.
सम्भव है कि उसके ऊपर यह दबाव बनाया जाये कि वह गाजा में अपनी सत्ता छोड़कर
अंतरराष्ट्रीय महाशक्तियों द्वारा समर्थित फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सत्ता सौंप दे.
इस पर इजराइल ने पश्चिमी तट की फिलिस्तीनी प्राधिकरण को किसी भी तरह की भूमिका
देने से इंकार करने के साथ-साथ फिलिस्तीनी राज्य की सम्भावना को भी सिरे से नकार
दिया है.
ऐसी असमंजस भरी
स्थितियों के बीच अमेरिका, कतर, मिस्र, तुर्की सहित अन्य
सहमत देशों के प्रतिनिधियों का एक संयुक्त निगरानी दल बनाये जाने का प्रस्ताव है
जो संघर्ष विराम, कैदियों की रिहाई सहित हर प्रक्रिया पर नजर रखेगा. यह दल सुनिश्चित
करेगा कि दोनों पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करें. दो सौ से अधिक अमेरिकी सैनिक
इजरायल पहुँच कर वहाँ की शांति प्रक्रिया पर नजर रखने के साथ-साथ यह भी देखेंगे कि
कोई भी पक्ष समझौता न तोड़े. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की
नोबेल शांति पुरस्कार की चाह में इजराइल-हमास संघर्ष विराम को उनके कार्यकाल की
सबसे बड़ी उपलब्धि बताया जाएगा, जिससे उनको नोबेल पुरस्कार का
प्रबल उम्मीदवार बनाया जा सके. ऐसे में अब ट्रम्प को स्थायी शांति के लिए प्रयास
करना चाहिए. उनको किसी एक देश के पक्ष में खड़े होने के स्थान पर एक स्वतंत्र
मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिए.
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