24 जून 2025

इजराइल-ईरान युद्ध का असमंजस

ऐसा समझा जा सकता है कि पर्ल हार्बर की घटना से हम सभी परिचित ही होंगे? ऐसे समय में जबकि विश्वयुद्ध जैसा खतरा मंडरा रहा है तब पर्ल हार्बर घटना याद आना स्वाभाविक है. इसी घटना ने अलग-थलग, खामोश पड़े अमेरिका को न केवल द्वितीय विश्वयुद्ध में घसीटा बल्कि जापान पर परमाणु हमले का आधार भी तैयार किया. दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका तब तक शामिल नहीं हुआ था लेकिन जापान को भय था कि प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका अपने इस नौसैनिक बेड़े के द्वारा जापान के क्षेत्रीय विस्तार को बाधित करेगा. इसी आशंका में जापानी वायुसेना ने अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमला करके अमेरिका को सैनिकों, नौसैनिक जहाजों, विमानों का भयंकर नुकसान पहुँचाया.

 

पर्ल हार्बर घटना का स्मरण तब हुआ जबकि इज़राइल-ईरान युद्ध से विश्वयुद्ध का खतरा नजर आया. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने की अपनी जिद के चलते इज़राइल ने ईरान पर हवाई हमले कर दिए. ऐसे में ईरान ने भी पूरी तीव्रता से इजराइल पर पलटवार किया. युद्ध की इस स्थिति में अमेरिका के असमंजस भरे रुख को देखकर शंका हो रही थी कि कहीं इजराइल ने ईरान पर हमला करके गलती तो न कर दी? शंका से भरे वातावरण में अमेरिका ने ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर हमला कर दिया. इस हमले में 125 एयरक्राफ्ट, सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स के द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर 13,608 किलो वजनी बस्टर बम गिराए गए. युद्ध में शामिल होने के बाद भी अमेरिका ने कहा कि वह ईरान से युद्ध नहीं चाहता है मगर यदि इस हमले का पलटवार ईरान द्वारा किया गया तो उसके परिणाम बहुत बुरे होंगे.

 



अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु संयत्रों पर हमला करने के बाद इस तरह की धमकी भरे अंदाज में बयान देने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि ईरान इसका जवाब नहीं देगा किन्तु जिस तरह से कतर, इराक, कुवैत पर उसने मिसाइलें दागी हैं, उससे ईरान ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह अमेरिका की धमकी या उसकी दबंगई से डरने वाला नहीं है. ईरान के इस पलटवार को पर्ल हार्बर की घटना से इसी कारण संदर्भित किया जाने लगा क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने इस कार्यकाल में विध्वंसक मोड में दिख रहे हैं. आर्थिकी क्षेत्र हो, महाशक्तियों के साथ सम्बन्ध बनाये रखने का दौर हो, दो देशों के बीच युद्धविराम जैसी स्थिति लागू करवाने सम्बन्धी वार्ताएँ हों, अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वार्तालाप का कूटनीतिक व्यवहार आदि ही क्यों न हो सभी जगह ट्रम्प आक्रामक रुख अपनाते ही दिखाई दिए. ऐसे में ईरान के पलटवार को विश्वयुद्ध की आहट समझा जा रहा था. यद्यपि ईरान द्वारा छोड़ी गई मिसाइलों से अमेरिकी एयरबेस को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ, किसी भी तरह के जानमाल को भी क्षति नहीं पहुँची है तथापि ये पलटवार अमेरिका के विरुद्ध था इसलिए वैश्विक चिंता होना स्वाभाविक थी.

 

शंकाओं, असमंजस भरे बादल उस समय छँटते नजर आये जबकि ईरान द्वारा अमेरिकी बेस पर मिसाइल दागने के बाद बदला पूरा हो जाने की बात कहे जाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान के मिसाइल हमले को बहुत कमजोर बताते हुए मजाक उड़ाया. ट्रम्प ने ईरान को धन्यवाद देते हुए कहा कि तेहरान ने अपने परमाणु स्थलों पर अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर हमले का जवाब देने का नाटक किया है. अपनी बात को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि किसी भी अमेरिकी को ईरानी हमले में नुकसान नहीं पहुँचा है. मैं ईरान को हमें पहले से सूचना देने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिससे किसी की जान नहीं गई और कोई भी घायल नहीं हुआ. शायद ईरान अब क्षेत्र में शांति और सद्भाव की ओर बढ़ सकता है. मैं उत्साहपूर्वक इजरायल को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करूँगा. इस तरह की सोशल मीडिया पोस्ट के साथ ही ट्रम्प द्वारा इजराइल और ईरान के मध्य युद्धविराम किये जाने सम्बन्धी पोस्ट भी लगाई गई. इस खबर को संतोषजनक और विश्वयुद्ध की आशंका के अंत के रूप में देखा जा रहा है.

 

इजराइल का ईरान पर हमला, ईरान द्वारा इजराइल को मुँहतोड़ जवाब देना, अमेरिका का असमंजस के बाद भी ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट कर देना, ईरान द्वारा अमेरिकी हमले का बदला लेने के लिए अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल हमला करने के भयग्रस्त वातावरण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा इजराइल-ईरान के बीच युद्धविराम की घोषणा करना अल्पकालिक राहत ही समझ आता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इजराइल-ईरान के मध्य युद्ध की स्थिति जिस कारण से बनी थी, अभी उसका समाधान नहीं हुआ है. इस युद्ध के केन्द्र में ईरान का परमाणु कार्यक्रम था, जो फोर्दो परमाणु संयंत्र के पूरी तरह से बर्बाद हो जाने के बाद भी अस्तित्व में है. ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि ईरान ने अमेरिकी हमले से पहले ही संवर्द्धित यूरेनियम को किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है. यदि यह अंदेशा सही है तो ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसे परमाणु बम बनाने तक ले जा सकता है. निश्चित है कि ऐसी कोई भी आशंका न तो अमेरिका के हित में है न ही इजराइल के. बारह दिनों तक चले युद्ध के बाद भी, अमेरिका के हमले के बाद भी यदि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अस्तित्व में बना रहा तो यह अमेरिका और इजराइल की प्रभुता, उसकी सैन्य क्षमता के लिए भी चुनौती होगी. फ़िलहाल तो देखना यह है कि जिस युद्धविराम की घोषणा ट्रम्प द्वारा की गई है वह कितने समय तक लागू रह पाता है.


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