आये दिन हिन्दुओं से
सम्बंधित बाबाओं, महात्माओं,
साध्वियों आदि से सम्बंधित पोस्ट सोशल
मीडिया में दिखती है, वो भी उनके
विरोध में. अक्सर ऐसा लगता है जैसे ये पोस्ट-धारी कहीं न कहीं हिन्दू-विरोधी स्लीपर
सेल ही हैं. मौका ताकते ही सक्रिय ही जाते हैं.
इस समय बहुतायत पोस्ट
में धीरेन्द्र शास्त्री निशाने पर हैं. उनका चश्मा, उनकी जैकेट निशाने पर है. इन दोनों वस्तुओं की कीमत को
लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. उठाना भी चाहिए मगर सकारात्मक रूप में, बिना किसी पूर्वाग्रह के. आखिर इक्कीसवीं सदी
में भी आप वही पाठ क्यों पढ़ना चाहते हैं....???
एक गाँव में एक गरीब
ब्राह्मण रहता था.
किसी गाँव में एक गरीब
शिक्षक रहता था.
अब इस गरीब वाली मानसिकता
से बाहर निकलो. कभी सवाल उठाया किसी क्रिकेटर, किसी फ़िल्मी कलाकार के उपयोग में आने वाले सामानों की
कीमत के बारे में? नहीं न!! वे
तुमको क्या देते हैं? कोई खेलने
का ढोंग करता है, कोई अभिनय का,
तुम सबको क्या मिलता है..... बाबा जी का....!! अनावश्यक अपने दिमाग पर
लोड लेने की आवश्यकता नहीं. समाज सुधार सबका काम निश्चित रूप से होना चाहिए मगर पूर्वाग्रह
के साथ नहीं. आप सबको लगता है कि धीरेन्द्र शास्त्री अथवा अन्य कोई दूसरा बाबा,
महात्मा धोखा दे रहा है तो फिर इनको बेनकाब
करिए मगर फिर उन सबको भी बेनकाब करिए जो समाज को पथ-भ्रष्ट कर रहे हैं.
ऐसा न हो कि सनातन
धर्म वालों के विरोध में तो आप लंगोट कसे हैं.... बाकियों के विरोध में आप अपनी पतलून
में ही हग-मूत लेते हैं.
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