19 मार्च 2025

अन्तरिक्ष यात्री बने अनुकरणीय उदाहरण

अन्तरिक्ष में फँसने के बाद भारतीय मूल की अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की धरती पर सकुशल वापसी हो गई है. इनके साथ क्रू-9 के दो और अन्तरिक्ष यात्री अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी आये हैं. सुनीता विलियम्स और उनके सहयात्री बुच विल्मोर को अन्तरिक्ष से लाने वाला स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान भारतीय समयानुसार 19 मार्च 2025 को प्रातः 3 बजकर 27 मिनट पर फ्लोरिडा तट पर उतरा. 5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने नासा और बोइंग के आठ दिन के संयुक्त क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन के लिए बोइंग के अंतरिक्ष यान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए उड़ान भरी थी. इसका उद्देश्य बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट द्वारा किसी अन्तरिक्ष यात्री को अन्तरिक्ष में ले जाने और वापस लाने की क्षमता का परीक्षण करना था. अन्तरिक्ष स्टेशन पर मात्र आठ दिन के परीक्षण और खोज के लिए गए इन दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों को सम्बंधित यान के थ्रस्टर में आई गड़बड़ी के चलते नौ महीने से ज्यादा समय तक रुकना पड़ा.

 



सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में कुल 286 दिन बिता चुकी हैं. इसके साथ ही वह एक यात्रा में आईएसएस पर सबसे ज्यादा दिन बिताने वाली तीसरी महिला वैज्ञानिक बन गई. एक यात्रा में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला अन्तरिक्ष यात्री के रूप में पहले स्थान पर क्रिस्टीना कोच हैं, जिन्होंने 328 दिन बिताये हैं, वहीं पिग्गी वीटस्न 289 दिन व्यतीत करने के साथ दूसरे स्थान पर हैं. सुनीता विलियम्स अब तक नौ बार स्पेस वॉक कर चुकी है. इस दौरान उन्होंने 62 घंटे 6 मिनट स्पेसवॉक में बिताए हैं. इस मामले में वे पहले स्थान पर हैं. सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के अन्तरिक्ष स्टेशन से उनको लाने के प्रयास किये गए. तकनीकी और अन्य कारणों से हर बार वापसी के कार्यक्रम को स्थगित करना पड़ा. ऐसी विषम स्थिति के बाद भी सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने खुद को सक्रिय बनाये रखा. उन्होंने अंतरिक्ष में नौ महीने से अधिक अवधि तक रहने के दौरान 150 से ज्यादा प्रयोग किए. उन्होंने स्पेस स्टेशन का रखरखाव करने के साथ-साथ स्पेसवॉक करते हुए अंतरिक्ष यान की मरम्मत भी की. अन्तरिक्ष स्टेशन के उपकरणों की मरम्मत करते हुए एनआईसीईआर एक्स-रे टेलीस्कोप पर लाइट फिल्टर लगाए और एक अंतरराष्ट्रीय डॉकिंग एडेप्टर पर एक रिफ्लेक्टर डिवाइस को भी बदला.

 

अब जबकि दोनों अन्तरिक्ष यात्री धरती पर वापस लौट आये हैं तब भी उनकी दिक्कतें दूर होने वाली नहीं हैं. लौटने के बाद उन दोनों को बेबी फीट समस्या का सामना करना पड़ेगा, जिस कारण चलने में परेशानी होगी. लम्बे समय तक अंतरिक्ष में रहने के कारण पैर की ऊपरी मोटी चमड़ी खत्म हो जाती है. इससे पैर छोटे बच्चों की तरह मुलायम और कमजोर हो जाते हैं. जीरो गुरुत्वाकर्षण के कारण पैर कमजोर होने लगते हैं, चलने-फिरने, संतुलन बनाने में परेशानी होती है. इसके अलावा मनोवैज्ञानिक समस्याओं, बेचैनी, अवसाद, बोलने में दिक्कत जैसी अनेक समस्याएँ सामने आती हैं. इसके चलते सामान्य जीवन स्थिति आने में काफी समय लग सकता है.

 



इस तरह की अनेकानेक समस्याओं का सामना करने में, उनसे उबरने में अब दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों को संभवतः उतनी मानसिक परेशानी नहीं होगी, जितनी कि अन्तरिक्ष में रहते हुए हुई होगी. यहाँ तो वे दोनों अब अपने परिजनों की देखभाल में, योग्य चिकित्सकों की निगरानी में, धरती के वातावरण में रहते हुए खुद को सामान्य बनाने का प्रयास करेंगे. विचार करिए अन्तरिक्ष की उस स्थिति का जहाँ न तो पृथ्वी जैसा वातावरण है, जहाँ जीरो गुरुत्वाकर्षण वाली असामान्य स्थिति है, नितान्त अकेलेपन के बीच सिर्फ मशीनों का साथ है. इन दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों से आज के उन युवाओं को, उन अनेकानेक लोगों को सीख लेने की आवश्यकता है जो जरा-जरा सी स्थिति में खुद को तनावग्रस्त कर लेते हैं. किसी भी छोटी सी समस्या को अपने जीवन से बड़ा मानते हुए अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं. किसी भी एक-दो असफलताओं के कारण हताशा-निराशा में, अवसाद में चले जाते हैं.

 

निश्चित ही इन दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों का मानसिक स्तर, उनकी मानसिक शक्ति अत्यंत प्रबल रही होगी क्योंकि अन्तरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरते समय दोनों के मन-मष्तिष्क में स्पष्ट रूप से सिर्फ आठ दिन रुकने का भाव रहा होगा जबकि उनको नौ महीने से अधिक समय तक रुकना पड़ गया. इस तरह की स्थिति निश्चित रूप से अवसाद पैदा करने वाली हो सकती थी मगर दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों ने खुद को अपने काम में लगा दिया. अन्तरिक्ष के अकेले वातावरण में खुद को किसी भी तरह की नकारात्मकता से दूर रखने के लिए उनका मिशन सम्बन्धी कामों में लगे रहना, अन्तरिक्ष सम्बन्धी भावी स्थितियों के लिए नए विकल्पों की तलाश करना उनकी जिजीविषा को दर्शाता है. शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखने के लिए उनके द्वारा खान-पान के साथ-साथ योग, व्यायाम पर भी ध्यान दिया गया. आज अवसरों की अनुपलब्धता, सकारात्मक वातावरण की कमी का होना, कार्य स्थितियों का अनुकूल न होना आदि समस्याओं की चर्चा करना आम बात है. ऐसे में इन दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों को अनुकरणीय उदाहरण के रूप में स्वीकार्य होना चाहिए. ये आवश्यक नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए समाज में अनुकूल वातावरण, सकारात्मक परिस्थितियाँ, सहयोगात्मक भूमिका आदि की उपस्थिति रहे. ऐसे में व्यक्ति को अपनी मानसिक स्थिति को, आत्मविश्वास को सकारात्मक रूप से सशक्त बनाये रखने की दिशा में काम करना चाहिए. परिस्थितियों का रोना रोने से बेहतर है कि उनको सुधारने  का प्रयास करना चाहिए. निस्संदेह दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों की सकुशल वापसी के वैज्ञानिक क्षेत्र में नासा का सफल अभियान है, इसी तरह सामाजिक क्षेत्र के लिए दोनों अन्तरिक्ष यात्रियों की मानसिक शक्ति, जिजीविषा, आत्मविश्वास अनुकरणीय उदाहरण है.  


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