19 अगस्त 2024

युद्ध-काल में मोदी की यूक्रेन यात्रा

रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए दो वर्ष से अधिक का समय हो चुका है मगर अभी भी इस युद्ध की अंतिम परिणति दिखाई नहीं दे रही है. दोनों देशों में जिसे जब अवसर मिलता है, वह जबरदस्त हमला करके दूसरे देश को क्षति पहुँचा देता है. युद्ध के चलते रहने की ऐसी स्थिति के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यूक्रेन का दौरा करना वैश्विक चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी माह की 23 तारीख को नरेन्द्र मोदी अपनी पोलैंड यात्रा के तुरंत बाद यूक्रेन दौरा करेंगे. भारत और यूक्रेन के बीच तीस वर्ष पूर्व, 1992 में राजनयिक सम्बन्ध स्थापित होने के बाद पहली बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा यूक्रेन की यात्रा की जा रही है. अपनी इसी महत्ता के साथ-साथ रूस-यूक्रेन युद्ध तेज होने के बीच भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन दौरा महत्त्वपूर्ण समझा जा रहा है.

 

ऐसा नहीं है कि रूस-यूक्रेन युद्ध-काल में मोदी और जेलेंस्की की यह पहली मुलाकात है. इससे पहले भी इन दोनों नेताओं की तीन बार मुलाकात हो चुकी है. यूक्रेन दौरे पर नरेन्द्र मोदी और जेलेंस्की की होने वाली मुलाकात उनकी चौथी मुलाकात होगी. पहली बार इन दोनों नेताओं की मुलाकात 2021 में ग्लासगो में हुई थी. इसके बाद मई 2023 को जी7 शिखर सम्मलेन के दौरान दोनों नेताओं का हिरोशिमा में मिलना हुआ था. तीसरी मुलाकात जून 2024 को इटली में हुए जी7 शिखर सम्मलेन में हुई थी, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा की थी. इस चौथी को इस कारण से और भी महत्त्वपूर्ण समझा जा रहा है क्योंकि इन दोनों नेताओं के मध्य यह पहली आधिकारिक मुलाकात होगी. इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात किसी दूसरे देश में किसी अन्य मंच पर ही होती रही है. प्रधानमंत्री मोदी इस बार जेलेंस्की के आमंत्रण पर यूक्रेन जा रहे हैं. 

 



प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध के समय में अभी हाल ही में रूस की यात्रा की गई थी. युद्ध-काल में रूस की अपनी पहली यात्रा में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और नरेन्द्र मोदी का गले मिलना पश्चिमी मीडिया के गले नहीं उतरा था. मीडिया के द्वारा इसकी आलोचना करने के साथ-साथ स्वयं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की द्वारा भी इस पर आपत्ति की गई थी. इस पर उन्होंने कहा था कि आज रूस के मिसाइल हमले में 37 लोग मारे गए, इसमें तीन बच्चे भी शामिल थे. रूस ने यूक्रेन में बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला किया. एक ऐसे दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का दुनिया के सबसे ख़ूनी अपराधी से मॉस्को में गले लगाना शांति स्थापित करने की कोशिशों के लिए बड़ी निराशा की बात है. ऐसे में जहाँ मोदी की रूस यात्रा के दौरान जेलेंस्की को आपत्ति हुई थी, माना जा रहा है कि मोदी की यूक्रेन यात्रा से रूस को आपत्ति, असहजता हो सकती है.

 

यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य ये है कि भारत के रूस और यूक्रेन से अपने-अपने स्तर से अलग-अलग सम्बन्ध हैं. जहाँ तक रूस-यूक्रेन के इस युद्ध का सवाल है तो भारत द्वारा कूटनीतिज्ञ भूमिका अपनाते हुए लगातार यही प्रयास किया गया है कि यह युद्ध समाप्त हो. उसके द्वारा किसी एक देश का न तो समर्थन किया गया है और न ही विरोध. भारत के रूस और यूक्रेन दोनों से मजबूत और स्वतंत्र सम्बन्ध होने का ही परिणाम है कि भारत ने यूक्रेन पर रूसी हमले की न तो निंदा की और न ही संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया. इसी तरह से भारत द्वारा युद्ध-काल में यूक्रेन को लगातार मानवीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती रही है. यूक्रेन और रूस के साथ भारत के राजनयिक सम्बन्ध होने के साथ-साथ व्यापारिक सम्बन्ध भी बने हुए हैं, जो इस युद्ध के दौरान भी लगातार स्थापित रहे. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 386 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया. इसके साथ ही दोनों देशों के मध्य कृषि उत्पाद, धातुकर्म उत्पाद, प्लास्टिक, पॉलिमर, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, रसायन, खाद्य उत्पाद आदि का आयात-निर्यात पूर्व की भांति होता रहा.

 

मोदी और जेलेंस्की की यह मुलाकात कृषि, बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा आदि सहित अनेक बिन्दुओं पर केन्द्रित रहेगी. इसके अलावा इस मुलाकात से रूस-यूक्रेन युद्ध के सन्दर्भ में कोई सकारात्मक बिन्दु सामने आने की अपेक्षा की जा रही है क्योंकि भारत हमेशा से युद्ध के बजाय आपसी बातचीत के द्वारा रूस और यूक्रेन के मध्य विवाद के समाधान तक पहुँचने की बात करता रहा है.स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है. युद्ध के मैदान में समाधान नहीं ढूंढे जा सकते. युद्ध और वैश्विक अराजकता के इस दौर में पिछले महीने भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा के बाद अब यूक्रेन की यात्रा से सकारात्मक सन्दर्भ तलाशने की आवश्यकता है.  

 


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