06 जून 2024

लोकसभा चुनाव परिणाम पश्चात् विपक्ष

लोकसभा चुनाव का अंतिम परिणाम सामने आ चुका है. पक्ष-विपक्ष के अपने-अपने दावों-वादों से कहीं अलग इस बार का चुनाव परिणाम सामने आया है. भाजपा के चार सौ पार के नारे ने असर न दिखाया तो गठबंधन के दावे कि चार जून को नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे ने भी असर न दिखाया. देश-प्रदेश स्तर पर चुनावी स्थितियाँ अलग रहीं और उसी के हिसाब से परिणाम भी सामने आये. चुनाव परिणामों ने कहीं ख़ुशी का माहौल बनाया तो कहीं दुःख भी प्रकट हुआ. इसमें सबके अपने-अपने भाव, अपनी-अपनी मानसिकता ने भी काम किया.

 



लोकसभा के चुनाव में परिणाम क्या रहा, किसे सत्ता मिली, कौन विपक्ष में रहा ये एक अलग विषय है मगर इस बार सबसे ज्यादा प्रभावी विषय यही रहा कि किसी भी भाजपा-विरोधी दल द्वारा ईवीएम को दोषी नहीं बताया गया. कहीं के चुनाव परिणामों के चलते इस पर आरोप नहीं लगाया गया, केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं किया गया. ईवीएम को हैक करने जैसी किसी भी खबर ने कहीं भी स्थान नहीं पाया. इससे साफ़ समझ आता है कि भाजपा-विरोधी दल विगत दस सालों में किस कदर बौखलाए हुए हैं. तमाम तरह की जुगत बिठाने के बाद भी वे सत्ता हासिल नहीं कर पा रहे हैं. सत्ता तो बहुत दूर की बात है, विगत दो बार से वे लोकसभा में सदन के भीतर अपना नेता सदन नहीं बना पा रहे हैं. इसका एकमात्र कारण नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के लिए आवश्यक मतों का न मिल पाना रहा है. इसी तरह से लोकसभा उपाध्यक्ष पद भी खाली बना रहा. सामान्य सी मान्यता है कि सत्ता पक्ष को लोकसभा अध्यक्ष का और विपक्ष को लोकसभा उपाध्यक्ष का पद प्रदान किया जाता है. विपक्ष की स्थिति इस तरह की बनी रही कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद भी खाली बना रहा.

 

यहाँ अब विशेष ये होगा कि तमाम दलों द्वारा जो गठबंधन सरकार बनाने के लिए, खुद को सत्ता में लाने के लिए किया गया था क्या वही गठबंधन विपक्ष में होने के बाद सदन को चलने देगा? विगत वर्षों की तरह सदन के सञ्चालन में व्यवधान उत्पन्न करके देश का धन बर्बाद करने की उनकी मंशा तो इस बार भी नहीं है?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें