13 जुलाई 2023

गूगल के डूडल ने खिलाए गोलगप्पे

गूगल ने इस बार अपने डूडल पर गोलगप्पे को बनाकर गोलगप्पों के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया है.  गूगल ने अपने डूडल के द्वारा देश के सर्वाधिक लोकप्रिय स्वाद को वैश्विक बना दिया है. इस डूडल पर क्लिक करते ही एक गेम भी स्क्रीन पर उभरता है. इसमें अनेक प्रकार के गोलगप्पे दिखाई देते हैं. उन पर क्लिक करते हुए गोलगप्पों का ऑनलाइन स्वाद लिया जा सकता है.




गूगल द्वारा 12 जुलाई को गोलगप्पों या कहें कि पानीपूरी के लिए चुने जाने के पीछे भी स्वादिष्ट इतिहास है. इसी दिन गोलगप्पों ने एक नए तरह का इतिहास रच दिया था. वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक रेस्टोरेंट ने इसी दिन गोलगप्पों की 51 वैरायटी प्रस्तुत की थीं. इन 51 तरह की वैरायटी के साथ यह भी रिकॉर्ड बनाया गया था कि उसके द्वारा गोलगप्पों के लिए सर्वाधिक तरह के स्वाद भी प्रस्तुत किये गए थे. गोलगप्पों के इसी ऐतिहासिक स्वाद को वैश्विक स्तर पर याद रखने के लिए गूगल ने अपना डूडल पानीपूरी को लेकर बनाया है.




भारत देश में गोलगप्पों को लेकर जिस तरह की दीवानगी है, उसे शब्दों में बताना शायद कठिन होगा. आज किसी भी तरह का पारिवारिक हर्षोल्लास का आयोजन हो, जन्मदिन मनाया जाये या फिर वैवाहिक वर्षगाँठ, विवाह का अवसर हो या फिर गृह-प्रवेश, लोगों का जायका बिना गोलगप्पों के पूरा नहीं होता है. इन आयोजनों के अलावा किसी भी बड़े-छोटे शहर में जगह-जगह पर गोलगप्पों का चटखारे ले-लेकर स्वाद लेती भीड़ सहज ही दिख जाती है. स्वाद ले-लेकर गोलगप्पे खाने वालों ने इसे अलग-अलग नामों से सजा रखा है. गोलगप्पे, पानीपूरी, पानी के बताशे इसके सहज नाम हैं. इन नामों के साथ देश के बहुसंख्यक राज्यों में इसकी पहचान बनी हुई है. इसके अलावा पुचका और गुपचुप के नाम से इसकी पहचान बिहार और झारखंड के स्वादप्रेमियों के बीच बनी हुई है. पश्चिम बंगाल में इसे पुचका नाम से ही जाना जाता है. ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में इसका नाम गुपचुप रखा हुआ है. गुजरात और मध्य प्रदेश में बहुत सी जगहों पर इसे पकौड़ी कहा जाता है. मध्य प्रदेश में कहीं-कहीं गोलगप्पों को टिक्की कहकर पुकारा जाता है.


पानीपूरी को आलू, मटर से बने हुए चोखे के साथ भरकर अनेक स्वादिष्ट, जायकेदार पानी से भर कर खाया जाता है. इसके साथ-साथ गोलगप्पों को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए अलग-अलग जायके के पानी बनाये जाते हैं. सौंठ की चटनीमीठी चटनी, मीठी पाटल (गुलाब) जल, जलजीरा, नींबू स्वाद, कुछ फलों के स्वाद वाले जायके, दही आदि के साथ भर कर भी इसका स्वाद लिया जाता है. गोलगप्पों को किसी भी नाम से पुकारा जाये, किसी भी स्वाद के साथ खाया जाये, किसी भी फ्लेवर का पानी साथ में पिलाया जाये मगर इसके प्रति दीवानगी कम नहीं हुई है. गोलगप्पों के दीवाने उसी स्वाद, चटखारे के साथ इसे खाते ही जाते हैं, खाते ही जाते हैं.


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गूगल ने अपने डूडल के द्वारा पानीपूरी को याद किया है तो इसी पोस्ट में कुछ बातें डूडल के बारे में भी. इससे गोलगप्पे और डूडल साथ-साथ बने रहेंगे.


सन 1998 में गूगल के शुरू होने से पहले ही डूडल का विचार जन्म ले चुका था. यदि कहें कि डूडल ही जन्म ले चुका था तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. गूगल के संस्‍थापकों लैरी और सर्गेई ने नेवाडा के रेगिस्‍तान में होने वाले बर्निंग मैन उत्सव में अपनी उपस्थिति को दर्शाने के लिए अपने लोगो को एक तरह का कलात्‍मक रूप दिया. उन्‍होंने गूगल (Google) के दूसरे ओ (o) के पीछे एक आकृति‍ की ड्रॉइंग बना दी. इस तरह के संशोधित लोगो का उद्देश्य गूगल के उपयोगकर्ताओं को एक तरह का मजेदार सन्देश देना था. इस सन्देश का निहितार्थ था कि संस्‍थापक कार्यालय से बाहर हैं.




इस घटना के दो वर्ष बाद सन 2000 में लैरी और सेर्गेई ने वर्तमान वेबमास्‍टर डेनिस ह्वांग से बास्तील दिवस के लिए कोई डूडल बनाने को कहा. डेनिस उस समय एक प्रशिक्षु के रूप में कार्य कर रहे थे. उनके बनाये डूडल को उपयोगकर्ताओं ने इतना अधिक पसंद किया कि डेनिस को गूगल के मुख्‍य डूडलर के रूप में नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद से गूगल के होम पेज पर नियमित रूप से डूडल दिखाई देने लगे. किसी ख़ास दिन, किसी विशेष आयोजन, किसी समारोह आदि के सन्दर्भ में डूडल की बढ़ती माँग के कारण अब इंजीनियरों की एक विशेष योग्यता वाली टीम कार्य करती है. डूडल बनाने वाले इन लोगों को आम बोलचाल की भाषा में डूडलर कहा जाता है. ऐसा अनुमान है कि इस टीम ने दुनिया भर में दिखने वाले गूगल के होम पेज के लिए 5000 से भी अधिक डूडल बनाए हैं.







 

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