लगभग दो घंटे बाद
तीन दिसम्बर समाप्त होकर चार दिसम्बर में बदल जायेगा. ये कोई आश्चर्य का विषय नहीं
है मगर आश्चर्य का विषय जो है वो ये कि आज का दिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का होने के
बाद भी मीडिया से लुप्त रहा. सामान्य मीडिया से, सोशल मीडिया से भी.
आज, तीन दिसम्बर को International Day of
Disabled Persons के रूप में मनाया
जाता है. सामान्य बोलचाल में हम लोग इसे अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग (विकलांग) दिवस
के रूप में पहचानते हैं.
चिरकुट टाइप के
दिवस मनाने में सिद्धहस्त सोशल मीडिया पुरोधा भी इधर खामोश दिखे. बहुतेरी सम्पादकीय
टिप्पणियों से भी इस दिवस के बारे में, दिव्यांगजनों के बारे में कुछ लिखा देखने को न मिला.
आखिर ऐसी उदासीनता
क्यों? आपके माता, पिता, भाई, बहिन, मित्र, वेलेंटाइन, धरती, पर्यावरण, जल, जंगल, टाइगर आदि की तरह दिव्यांग भी इसी समाज का हिस्सा
है. आपके परिजन, मित्र,
सहयोगी, सहकर्मी, अपरिचित, मजदूर, श्रमिक आदि किसी रूप में भी ऐसा कोई व्यक्ति
आपको दिखाई दे जाता होगा.
इतनी और ऐसी
संज्ञाशून्यता उचित नहीं.
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