11 नवंबर 2022

संबंधों में दिखावा

संबंधों के चलन में विगत लगभग दो दशक से बहुत ज्यादा दिखावा होने लगा है. संबंधों के निर्वहन में एक तरह की बनावट भी आ चुकी है. ऐसा नहीं है कि सभी तरह के संबंधों में अथवा सभी लोगों के संबंधों में ऐसा होता है किन्तु बहुतायत में ऐसा देखने को मिल रहा है. कुछ लोग लगभग प्रत्येक व्यक्ति जे जीवन में ऐसे होते हैं जो उनके बहुत ख़ास होते हैं. उनके अत्यंत निकट के होते हैं. ऐसे लोगों से किसी तरह का कोई औपचारिक सम्बन्ध नहीं होता है. उनके सामने भी उसी तरह का व्यवहार होता है, जैसा कि उनके पीछे. इसे उलट रूप में भी समझा जा सकता है कि उनके प्रति जैसी सोच और मानसिकता उनके पीछे होती है, ठीक वही उनके सामने भी होती है. इसमें किसी तरह का दिखावा नहीं होता है. 




इसके ठीक उलट ऐसे सम्बन्ध भी अस्तित्व में आ चुके हैं जहाँ जबरदस्त तरीके से बनावट है. सामने मिलने पर ऐसे मुलाक़ात की जाती है मानो इनसे बड़ा कोई ख़ास है ही नहीं. मिलने वाले जिगरी सम्बन्धी समझ आते हैं. एक-दूसरे के लिए जान देने वाला इनसे बड़ा और कोई नहीं संसार में, ऐसा दिखाई देता है. और जब यही लोग एक-दूसरे के पीठ पीछे होते हैं तो यही एक-दूसरे की काट करने वाले होते हैं. यही एक-दूसरे को नीचा दिखाने वाले, एक-दूसरे को हराने की मानसिकता रखने वाले होते हैं.


हो सकता है कि ऐसी मानसिकता वर्षों से समाज में अपना अस्तित्व बनाये हुए हो मगर जिस तरह से पिछले दो-ढाई दशकों में ऐसा होते दिखा है, वो आश्चर्यचकित करने वाला है. इधर संबंधों के बनाने में, उनके निर्वहन में स्वार्थ को प्रमुखता से अपनाया गया. जहाँ से भी लाभ मिलने की उम्मीद दिखी, वहीं संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की कोशिश शुरू हो गई. संबंधों का ये निर्वहन उसी स्थिति तक गति पाता रहता है, जहाँ तक कि लाभ की स्थिति बनी रहती है. ऐसे सम्बन्ध अल्पकालिक रहते हैं किन्तु दिखावे के कारण बहुतेरे लोग संबंधों को खींचते रहते हैं. यही लोग वे होते हैं जो सामने आने पर आत्मीयता का चरम दिखाते हैं और पीठ पीछे यही लोग विश्वासघात करने का काम करते हैं. आज के समय ऐसे लोगों से बच कर रहने की आवश्यकता है. 






 

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