04 नवंबर 2022

फाउंटेन पेन आज भी है लेखकों की पसंद

फाउंटेन पेन एक ऐसा उपकरण होता है, जिसके माध्यम से लेखन कार्य किया जाता है. एक निब की सहायता से इसका उपयोग स्याही को कागज़ पर उतार कर लिखा जाता है. आज बहुतायत में लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग लिखने के लिए करने लगे हैं फिर भी बहुत सारे लोग लिखने के लिए पेन का उपयोग करते हैं. मूल रूप से दो तरह के पेन उपयोग में लाए जा रहे हैं. इनमें एक बॉलपेन और दूसरा फाउंटेन पेन है. फाउंटेन पेन का उपयोग अब कम ही दिखता है. इसके अलावा वर्तमान में बच्चों द्वारा लिखने के लिए पेन्सिल का उपयोग किया जाता है. फाउंटेन पेन में उस पेन में बनी टंकी के अंदर भरी स्याही को निब की सहायता से कागज़ पर चलाया जाता है. निब और जीबी की सहायता से कागज पर उतरी स्याही कागज पर चिपक जाती है. इसी तरह से अक्षरों का लिखना होता रहता है.  


पूर्व में जबकि पेन का अविष्कार न हुआ था तब पक्षियों के पंखों से, हड्डियों से बने पेन की सहायता से, पत्थर को नुकीला बनाकर लेखन कार्य हुआ करता था. कालांतर में इसका विकास हुआ, जिसके चलते पेंसिल और फाउंटेन पेन का आविष्कार हुआ. फाउंटेन पेन का अविष्कार होने का लाभ ये हुआ कि अब पेन को बार-बार स्याही में डुबोने की आवश्कता नहीं होती थी. इससे पहले जिस तरह के उपकरण लेखन हेतु उपयोग में लाये जा रहे थे, वे चाहे हड्डियों से बने हों, पक्षियों के पंखों के बने रहे हों या फिर पत्थर से निर्मित हों सभी को बार-बार स्याही में डुबोना पड़ता था.




आज हम लोग जिस तरह के फाउंटेन पेन को देख रहे हैं, उसका स्वरूप बाँस के माध्यम से बनाया गया था. पहले पेन बनाने के लिए इसका उपयोग किया गया था. बाँस को काटकर एक शार्प निब वाला पेन तैयार किया गया, जिसे इंक बुश के नाम से जाना जाता था. यह पेन अन्य पेन के मुकाबले में बहुत बड़ा होता था. इंक बुश पेन आगे से पतला और पीछे से मोटा होता था. इसका पीछे वाला हिस्सा खोखला होता था, जिसमें स्याही भरी जाती थी. इसी के बाद ही फाउंटेन पेन अस्तित्व में आये. ऐसा माना जाता है कि पेन का सर्वप्रथम आविष्कार इराक में हुआ था. यह एक नुकीली धातु के द्वारा बनाया गया था. यदि पहले रीड पेन की बात की जाये तो उसका आविष्कार मिस्त्र में हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि फाउंटेन पेन का आविष्कार भी मिस्त्र में हुआ था.


फाउंटेन पेन का अविष्कार फ्रेंच के वैज्ञानिक पेट्राचे पोएनरु और रॉबर्ट विलियम थॉमसन ने किया. उन्होंने 25 मई 1857 को इसका आविष्कार किया था. यदि ऐतिहासिक रूप में देखा जाये तो भारत में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के लोगों को सबसे पहले पेन के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है. मोहनजोदड़ो शहर से कई ऐसे लेखयुक्त मोहरें प्राप्त हुईं हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में पेन का आविष्कार मोहनजोदड़ो काल में हुआ था. फाउंटेन पेन के आविष्कार से ही बॉलपेन के आविष्कार का रास्ता खुला. बॉलपेन का आविष्कार इस क्षेत्र में क्रांति माना जाता है. बॉलपेन का आविष्कार जॉन जैकब लाउड और लासलो बीरो ने किया.


जब फाउंटेन पेन बना था तो इसकी खूब बिक्री हुई. कालांतर में जब साठ के दशक में बॉलपेन की तकनीक आयी तो लोगों द्वारा इसे हाथों-हाथ लिया गया. फाउंटेन पेन का उपयोग आज भले कम हो रहा हो किन्तु वह पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है. आज भी ज्यादातर लेखक फाउंटेन पेन का उपयोग करते हैं. सुलेखन के लिए लोग आज भी फाउंटेन पेन को ही महत्त्व देते हैं.


(फाउंटेन पेन दिवस, 04 नवम्बर पर विशेष)





 

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