वैश्विक राजनीति
के साथ-साथ सामरिक क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भी नहीं सोचा होगा कि रूस और यूक्रेन
युद्ध इस तरह लम्बा खिंचेगा. विगत कई महीनों से युद्ध लगातार चल रहा है किन्तु
दोनों तरफ से कोई भी शांत होने की स्थिति में नहीं दिख रहा है. हालातों से लग नहीं
रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हाल-फ़िलहाल रुकने वाला है. इसके उलट रूसी
राष्ट्रपति पुतिन द्वारा परमाणु हमले की धमकी ने वैश्विक समाज की चिंता को बढ़ा
दिया है. युद्ध किस स्थिति में पहुँच गया है ये एक अलग मुद्दा है मगर जिस तरह से
माहौल बनता दिख रहा है उससे लग रहा है कि विश्व की दूसरी सबसे ताकतवर रूसी सेना इन
दिनों स्ट्रेटेजिक लड़ाई पर ध्यान लगा रही है. उसके द्वारा कुछ समय पूर्व यूक्रेन
के कब्जाए गए क्षेत्रों में जनमत संग्रह करा कर उन्हें रूस में शामिल तो करवा लिया
था मगर यूक्रेन ने इसे सहज रूप में स्वीकार नहीं किया है. वह अपने क्षेत्रों को
वापस लेने के लिए संघर्ष करता दिख रहा है. ऐसी खींचतान के बीच राष्ट्रपति पुतिन की
परमाणु हमले की धमकी ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. पुतिन ने अपने एक सम्बोधन
में साफ तौर पर कहा कि उसके द्वारा कब्जाए और रूस में शामिल किये गए क्षेत्रों पर
यदि यूक्रेन ने हमला किया तो वह परमाणु हमला करने से भी नहीं चूकेंगे.
पुतिन की परमाणु
हमला करने की धमकी के बीच यदि रूस के परमाणु हथियारों पर निगाह डालें तो संयुक्त
राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सात देशों के पास कुल 12700 परमाणु हथियार मौजूद हैं. इनमें
से रूस के पास सबसे अधिक 5977 परमाणु बम उसके सैन्य ठिकानों
में मौजूद हैं. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के अनुसार रूस के पास इन वारहेड
में से 1100 से अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल हैं
जो रूस से बैठ कर ही दुनिया के हर कोने तक भेजी जा सकती हैं. रूस की नौसेना ने
सबमरीन से परमाणु हमले करने के लिए अपने बेड़े में 800 बैलिस्टिक
मिसाइल को सजा रखा है.
रूस के इतनी विशाल
परमाणु हथियार क्षमता से संपन्न होने के बाद भी सवाल उठता है कि जापान में परमाणु
हमले की विभीषिका देखने के बाद भी क्या पुतिन परमाणु हमला करने जैसा जघन्य कदम
उठायेंगे? सन 1945 में
अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर जिस परमाणु बम को गिराया गया था वह केवल 15
किलोटन का था. उस हमले में एक लाख से अधिक लोग मारे गए थे और आज भी
कई तरह की गंभीर बीमारियाँ वहाँ देखने को मिल रही हैं. ऐसी स्थिति के कारण एक सम्भावना
यह व्यक्त की जा रही है कि रूस एक या अधिक टैक्टिकल परमाणु बम तैनात कर सकता है.
जिनका उद्देश्य यूक्रेन पर दवाब बनाना हो सकता है. यहाँ बताते चलें कि टैक्टिकल
परमाणु छोटे हथियार होते हैं, जिनमें 0.3 किलोटन से लेकर 100 किलोटन तक की विस्फोटक शक्ति
होती है. यदि टैक्टिकल परमाणु बम की जगह स्ट्रेटेजिक परमाणु बम का इस्तेमाल किया
गया तो वह समूचे विश्व के लिए अत्यंत विनाशकारी साबित होगा. इस कारण लगता नहीं कि यूक्रेन
युद्ध में रूस स्ट्रेटेजिक परमाणु हमला करने जैसा कदम उठाएगा.
रूस यह भी नहीं
चाहेगा कि उसके हमलों में अधिक जानमाल का नुकसान हो अथवा स्वयं उसे भी नुकसान
उठाना पड़े. ऐसे में वह टैक्टिकल परमाणु बम के द्वारा यूक्रेन को आत्मसमर्पण करने के
लिए मजबूर करना चाहेगा अथवा उसे बातचीत के लिए राजी करना चाहेगा. ऐसी स्थिति के
लिए रूस यूक्रेन के दो सबसे महत्त्वपूर्ण शहरों, यूक्रेन की राजधानी और खारकीव को अपने
निशाने पर ले सकता है. दोनों ही शहरों की कुल आबादी करीब 42 लाख से अधिक है, ऐसे में अगर रूस
अपने टैक्टिकल परमाणु हथियार इन शहरों पर गिराता है तो भीषण तबाही मच सकती है. रूस
इसी विशाल आबादी के ऊपर खतरा दिखा कर यूक्रेन को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर
सकता है.
इन सब संभावनाओं, आशंकाओं के बीच व्हाइट हाउस के
पूर्व परमाणु नीति विशेषज्ञ जॉन वोल्फस्टल का कहना है कि रूस द्वारा यूक्रेन को एक
ताकतवर संदेश देने के लिए पानी के ऊपर परमाणु बम का विस्फोट किया जा सकता है. इससे
लोगों की जान भी नहीं जाएगी और यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हमले किये जाने की चेतावनी
को अमल में लाने का कार्य आरम्भ हो जायेगा. इसके साथ ही यूक्रेन के ऊपर हवा में
काफी ऊँचाई पर इस तरह के बम का प्रयोग हो सकता है, जिससे
पैदा होने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स यूक्रेन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को
बर्बाद कर देगी. पुतिन द्वारा परमाणु बम
गिराए जाने पर स्वीकार्यता इसलिए भी बनती नहीं दिखती है क्योंकि इससे बड़े पैमाने
पर लोग मरेंगे. इससे भले ही यूक्रेन का राजनैतिक नेतृत्व खत्म हो जायेगा किन्तु यह
स्थिति पुतिन के लिए सकारात्मक नहीं होगी. एक हमले के बाद ही समूचा विश्व पुतिन के
खिलाफ नजर आने लगेगा.
पुतिन द्वारा परमाणु
हमले की धमकी भले दे डी गई हो मगर जिस तरह का माहौल बना हुआ है उसे देखते हुए ऐसा
किया जाना संभव नहीं लगता है. पश्चिमी देश इस मामले में भी अपनी मानसिकता को
प्रदर्शित कर चुके हैं. यूक्रेन के नाटो का सदस्य न होने के कारण भले ही वर्तमान
में नाटो सेनाएँ प्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन के साथ नहीं हैं मगर परमाणु हमला हो
जाने की स्थिति में वे सब मानवता की रक्षा के नाम पर एकसाथ रूस के खिलाफ उतर
आएँगी. ऐसे में रूस के लिए दोतरफा युद्ध लड़ना लाभ का सौदा नहीं होगा. यदि ऐसी
स्थिति बनी तो रूस को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए लगता नहीं कि एक
छोटे से क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के छोटे लाभ के लिए पुतिन पुतिन बड़ा जोखिम उठायेंगे.
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