22 सितंबर 2022

हम खुद पैदा करते हैं दुःख, कष्ट

प्रसन्न रहना भी दूसरे लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है. उनको इसी बात पर समस्या हो जाती है कि अगला व्यक्ति खुश कैसे है? किस तरह हँस लेता है? ऐसा नहीं होता कि जो व्यक्ति खुश दिख रहा है, हँस रहा है उसके पास समस्याएँ नहीं अथवा वह किसी बात पर दुखी नहीं. हँसते-मुस्कुराते व्यक्ति के पास भी उसी तरह की समस्याएँ हो सकती हैं जैसी कि अन्य व्यक्ति के पास हो सकती हैं. समस्याओं का होना और समस्याओं के होने के बाद भी हँसते-मुस्कुराते हुए कार्य को करते रहना दो अलग-अलग बातें हैं. ऐसा नहीं है कि हमारे पास कष्ट नहीं हैं, हमारे पास समस्याएँ नहीं हैं मगर बचपन से एक आदत रही है, किसी भी परेशानी में अपना धैर्य न खोने की, अपना विश्वास न खोने की. इसी के चलते बड़ी सहजता से किसी भी तरह की परेशानी, किसी भी तरह के कष्ट से बाहर निकलने का रास्ता निकल आता है.


लोग अक्सर कुछ निश्चित से सवाल हमसे पूछते रहते हैं. उन सवालों में हमें कभी टेंशन में न देखने की बात होती है. उनके सवालों में हमेशा हमारे चेहरे पर हँसी के भाव बने रहने का कारण होता है. उनके प्रश्न हमारी समस्याओं, कष्टों आदि से सम्बंधित होते हैं. यदि हम ये कहें कि हमें किसी तरह का कष्ट नहीं या फिर हम दुखी नहीं होते तो यह नितांत झूठ होगा. हम भी एक साधारण से इन्सान हैं, हमारी भी भावनाएँ हैं, हमारी भी इच्छाएँ हैं और उन्हीं के चलते हमें भी किसी आम आदमी की तरह कष्ट होता है, हम भी दुखी होते हैं. जैसी कि आदत रही है, उसके अनुसार अपने कष्टों, अपने दुखों, अपनी समस्याओं को अपने तक सीमित रखते हुए उनको दूर करने का प्रयास करते हैं.




यहाँ दुखों, कष्टों, समस्याओं को दूर करने, उनसे मुकाबला करने की बात से पहले यह समझना आवश्यक है कि हम सबके दुःख का, कष्ट का कारण क्या रहता है? बहुत से कष्ट और समस्याएँ ऐसे होते हैं जो हम स्वतः बना लेते हैं या कहें कि खुद ही उनको जन्म देते हैं. इसके पीछे दूसरे लोगों से हमारी अपनी अपेक्षा का बना होना होता है. हम सभी किसी न किसी रूप में दूसरों से अपेक्षाएँ पाले होते हैं. चूँकि सभी व्यक्तियों की अपनी-अपनी सीमायें हैं, अपने-अपने अधिकार हैं, ऐसे में अक्सर अपेक्षाओं का पूरा न हो पाना हम सबके लिए कष्ट का विषय बनता है. इसी तरह बहुत बार हम आने वाले समय में होने वाली किसी भी घटना की कल्पना करके भी परेशान होते हैं. अभी जो घटना हुई नहीं होती है, उसके बारे में काल्पनिक बातें सोचते-सोचते खुद को कष्ट में डाल देते हैं. कई बार किसी भी समस्या के सामने आ जाने के बाद लोग धैर्य खो देते हैं, ऐसे में वे उस स्थिति को और भी अधिक परेशानी भरा बना देते हैं. इसके चलते भी व्यक्ति अक्सर दुःख का, कष्ट का शिकार हो जाता है. ऐसी घटनाओं के अलावा बहुत सी घटनाएँ ऐसी होती हैं जो आकस्मिक रूप से होती हैं. अक्सर हम सभी ऐसी घटनाओं-दुर्घटनाओं के लिए किसी देवीय शक्ति को जिम्मेवार मान लेते हैं. कई बार कुछ घटनाओं के लिए प्राकृतिक आपदा भी जिम्मेवार होती है. ऐसी घटनाओं से उत्पन्न दुःख और कष्ट आदि को भी मनुष्य सहता है.


किसी भी तरह की समस्या, दुःख, कष्ट आदि के सम्बन्ध में एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि जो बात हम सबके हाथ में है, उसके लिए किसी भी तरह से परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वह हमारे हाथ में है, उसका करना हमारे हाथ में है. इसके उलट ऐसी कोई बात जिसका किया जाना हमारे हाथ में नहीं है तो उसके बारे में सोचा-विचारी नहीं करनी चाहिए, उसके बारे में परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि उसका नियंत्रण हमारे हाथ में नहीं है. लगभग सभी लोगों की आदत होती है कि लोग ऐसी बातों के लिए भी परेशान होते हैं जो उनके हाथ में होते हैं और कुछ लोग उन बातों को अपने लिए समस्या बनाये रखते हैं, जो उनके नियंत्रण में नहीं होते हैं.


इन सबके अलावा एक बात विशेष रूप से याद रखनी चाहिए कि हम सभी को अपेक्षाओं के दायरे से बाहर रहना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने दोस्त, अपने रिश्तेदार, अपने सहकर्मी अथवा अन्य किसी भी परिचित से बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ न करें. उनके ऊपर अपनी विचारधारा को, अपने निर्णयों को थोपने का प्रयास भी न करें. सभी की अपनी जीवन-शैली है, सभी के अपने विचार हैं. ऐसे में उन पर अपने विचारों का थोपा जाना अथवा उसका प्रयास करना भी आपस में मनमुटाव का, आपसी तनाव का कारण बनता है. इससे भी व्यक्ति कष्टों, दुखों का सामना करता है. यह ध्यान रखते हुए कि सभी का जीवन, सभी की जीवन-शैली उसकी अपनी व्यक्तिगत है. उसकी रुचियाँ, उसकी कार्यप्रणाली, उसका स्वभाव उसका अपना है. जिस तरह हम स्वयं को किसी दूसरे के लिए नहीं बदल सकते, ऐसे ही हमें भी किसी दूसरे को अपनी तरह से बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए.


धैर्य, विश्वास, संयम के साथ हँसते-मुस्कुराते हुए जीवन में आगे बढ़ा जायेगा तो किसी भी तरह की समस्या, दुःख, कष्ट, परेशानी भले पास आ जाये मगर हताश, निराश नहीं कर सकेगी. 






 

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