घूमने का शौक बचपन से रहा है. भले ही देश में भी बहुत सारी जगहों पर घूमना न हो पाया हो मगर अपने आसपास घूम कर अपने शौक को पूरा कर लिया करते हैं. ये तो घूमने वाली एक बात हुई मगर दूसरी बात ये कि देश के बहुत सारे स्थानों को देखने की इच्छा रही है, अभी भी है. ऐसी ही जगहों में एक जगह सेलुलर जेल हुआ करती थी. बचपन से पढ़ाई के दौरान, परिवार से मिलती जानकारी के कारण से अंडमान निकोबार द्वीप समूह को काला पानी के नाम से ही पहचानते थे. उसमें भी उस काला पानी में सेलुलर जेल का नाम सुन रखा था. बचपन में तो नहीं मगर जैसे-जैसे समझ आती रही, बचपन की पकड़ से बाहर आते रहे, सेलुलर जेल को देखने की, वहाँ की मिट्टी को माथे लगाने की इच्छा बलबती होती रही. कालांतर में वीर सावरकर जी के बारे में पढ़ने को मिला तो न केवल सेलुलर जेल को बल्कि उस कोठरी को भी नमन करने का मन होने लगा जहाँ वीर सावरकर को कैद किया गया था.
समय गुजरता रहा, मन में अंडमान निकोबार जाने की, सेलुलर जेल दर्शन की अभिलाषा और विकट रूप धारण करती रही. आखिरकार एक दिन ऐसा आ ही गया कि अंडमान निकोबार जाने का, पोर्ट ब्लेयर की धरती छूने का, सेलुलर जेल की मिट्टी को माथे लगाने का सुअवसर आ ही गया. दिल्ली से उड़े हवाई जहाज ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस एयरपोर्ट के दर्शन करवाते हुए वीर सावरकर एयरपोर्ट पर उतार दिया. हवाई जहाज से बाहर आने पर वीर सावरकर जी का नाम देखकर सिर स्वतः ही उनके प्रति श्रद्धा से झुक गया.
अपने छोटे भाई के घर पहुँचने के बाद सबसे पहले सेलुलर जेल के दर्शन किये गए. जेल की सभी जगहों को अपने हिसाब से देखा, उनका एहसास किया गया. सेलुलर जेल अपनी जिस मूल स्थिति में थी, अब वैसी नहीं है. मूल रूप में यह जेल सात शाखाओं में बनाई गई थी. बाद में इसकी चार शाखाएँ स्थानीय लोगों द्वारा ही नष्ट कर दी गईं. अब इस जेल की कुल सात शाखाओं में से केवल तीन शाखाएँ शेष बची हुई हैं.
सेलुलर जेल का मॉडल |
तीन मंजिल की इस जेल का नाम सेलुलर जेल रखने के पीछे का कारण इसका रूप-विन्यास भी है. इसमें प्रत्येक शाखा में कई-कई कोठरियाँ हैं. सभी कोठरी इस तरह से बनी हैं कि किसी कोठरी में कैद व्यक्ति दूसरी कोठरी को नहीं देख सकता था. एक सेल की तरह से बने होने के कारण इसे सेलुलर जेल कहा गया. इसी में एक मंजिल पर सीढ़ी के पास ही वीर सावरकर सेल की पट्टिका लगी हुई है. जब हम लोग यहाँ घूम रहे थे तो इस जेल में शेष बची इमारत की कोठरियों के एक जैसे दिखने के कारण वीर सावरकर सेल वाली पट्टिका देखने के बाद उस तरफ जाना हुआ. ये सुन-पढ़ रखा था कि वीर सावरकर को इसी जेल की किसी कोठरी में कैद किया गया था.
एक सेल के किनारे पर लगी इस पट्टिका के बारे में जानकारी करने के बाद मालूम हुआ कि इसी मंजिल पर वीर सावरकर को एक कोठरी में कैद करके रखा गया था. ऐसा मालूम पड़ते ही एक सिरहन सी पूरे शरीर में दौड़ गई. पैर ऐसा महसूस होने लगे जैसे उनमें शक्ति बची न हो. जैसा पढ़ते आये थे, उसका ध्यान अचानक से आते ही आँखों के सामने अँधेरा जैसा समझ आने लगा. अपने आपको एक पल में संयत करके उस कोठरी के दर्शन करने को कदम बढ़ाये जहाँ वीर सावरकर ने अपना लम्बा जीवन व्यतीत किया था. हम लोग पूरी श्रद्धाभाव से, तन-मन में सिरहन लिए, आँखों में पानी लिए सेलुलर जेल के कोने-कोने को जैसे आत्मसात करने के लिए घूम रहे थे. ऐसी स्थिति में जब उस कोठरी के सामने पहुँचे जहाँ वीर सावरकर को कैद में रखा गया था तो आँखों से आँसू स्वतः ही बह निकले. सभी कोठरियों में सामान्य एक गेट था मगर वीर सावरकर की कोठरी को दो फाटकों से बंद किया गया था. तत्कालीन अंग्रेज अधिकारियों को इतने से भी संतोष नहीं था, उन्होंने वीर सावरकर को डराने, भयभीत करने के लिए ऐसी कोठरी में रखा था जो फाँसीघर के सबसे नजदीक थी. उन अंग्रेजों का मानना था कि फाँसी लगाए जाने के दौरान आती चीखों से घबराकर किसी दिन वीर सावरकर भी टूट जायेंगे.
सावरकर कोठरी, इसे दो फाटकों से बंद किया गया था |
इसी शाखा में सबसे अंत में है कोठरी सावरकर जी जहाँ कैद रखे गए |
वीर तो वीर ही होता है और सावरकार तो वास्तविक में वीर थे, जिन्होंने सेलुलर जेल से भाग निकलने का दुस्साहस किया. भारतीय इतिहास में वे एकमात्र व्यक्ति हैं जिनको दो बार काला पानी की, सेलुलर जेल की सजा दी गई. ये भी तथ्य बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि इतिहास में वे ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके साथ उनके भाई को भी सेलुलर जेल में सजा काटने भेजा गया था. आश्चर्य देखिये कि एक ही जेल में बंद दो भाइयों को महीनों तक इसकी जानकारी ही नहीं हुई कि दो सगे भाई एकसाथ एक ही जेल में सजा काट रहे हैं.
वीर सावरकर जी की कोठरी में कुछ समय बिताने के बाद, उनकी फोटो के सामने अपनी मनोभावनाओं को प्रकट करने के बाद भी वहाँ से जाने का मन नहीं कर रहा था. दिल में, मन में अत्यंत श्रद्धाभाव लेकर, सावरकर जी के प्रति, तमाम वीर सेनानियों के प्रति कृतज्ञता भाव लेकर, उनका आशीष लेकर हम लोग वास्तविक धाम के, क्रांतिधाम के दर्शन करके घर लौट आये. हमारा अपना व्यक्तिगत विचार ये है कि देश भर के किसी व्यक्ति को अपने जीवन में भले ही अपने धार्मिक स्थल के दर्शन का अवसर न मिले मगर एक बार सेलुलर जेल के, इस क्रांतिधाम के दर्शन अवश्य करने चाहिए.
वीर सावरकर जी को उनकी जन्मतिथि पर सादर नमन.
सावरकर कोठरी में |
सेलुलर जेल के सामने बने पार्क में |
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