कभी-कभी अपने बारे में लिखा हुआ पढ़ना सुखद लगता है. वैसे तो शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे अपनी तारीफ सुनना पसंद नहीं होगा मगर जब खुद के सकारात्मक कामों के बारे में, वास्तविक कार्यों के बारे में, धरातल पर किये गए कामों के बारे में चर्चा की जाये, उनकी तारीफ की जाये तो ख़ुशी वाकई बहुत ज्यादा होती है.
अक्सर हम सभी लोग अपने किये जा रहे कामों की प्रशंसा न मिलने पर, उसका कोई तत्काल प्रतिफल निकलता न देखकर निराशा जैसी स्थिति में पहुँच जाते हैं. ऐसा होना नहीं चाहिए. संभवतः ऐसा मानव स्वभाव होने के कारण होता होगा किन्तु हमें ध्यान रखना चाहिए कि यदि हम लोग ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं, निस्वार्थ रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं तो समाज हम सबके कामों का प्रतिफल सकारात्मक रूप से देता ही देता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हम सभी कोई भी काम करें, समाज की निगाह उस पर रहती है. समाज अपनी तरह से उन कामों का आकलन करता रहता है. ये और बात है कि हमें लगता रहे कि समाज हमारे कामों को देख-समझ नहीं रहा है.
इसलिए निस्वार्थ भाव से, ईमानदारी के साथ सकारात्मक, सार्थक कार्य किये जाते रहने चाहिए. समाज किसी न किसी दिन, किसी न किसी रूप में उसका सकारात्मक प्रतिफल देता ही देता है.
दैनिक जागरण, कानपुर के जालौन संस्करण में प्रकाशित
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