24 जून 2021

हाल्ट, हुकुम सर देयर, फंडर फ़ो

हाल्ट, हुकुम सर देयर. फंडर फ़ो. इस वाक्य से आपमें से संभव है कि बहुत से लोगों का पाला पड़ा हो और बहुत से लोगों का नहीं भी पड़ा होगा. बहुत से लोगों से ऐसे वाक्य का सामना प्रत्यक्ष रूप से किया होगा और बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने ऐसे लोगों की जुबानी ही इस वाक्य से परिचय पाया होगा. हम भी उन्हीं लोगों में से हैं जिन्होंने इस वाक्य का परिचय अपने बाबा जी से प्राप्त किया है.


वैसे बहुत से लोग तो अभी तक कई बार पढ़ चुके होंगे इसे और इसके भीतर की टाइपिंग मिस्टेक खोजने में लगे होंगे. बहुत से लोगों ने तो टाइपिंग मिस्टेक निकाल कर इसे सही भी पढ़ लिया होगा. अब पता नहीं उन्होंने क्या गलती निकाली होगी और उसको सही करके क्या पढ़ा होगा? ये तो परदे के पीछे की बात है मगर जो लोग भी इस वाक्य से परिचित हैं वे अवश्य ही मन ही मन में या फिर खुलकर मुस्कुरा रहे होंगे.


असल में ऐसा वाक्य सुरक्षा प्रहरियों द्वारा किसी समय बोला जाता था. हमारे बाबा जी पुलिस में हुआ करते थे. उनकी पुलिस विभाग में सेवाएँ अंग्रेजी राज्य के समय से ही शुरू हो गईं थीं. उस समय के बारे में, सुरक्षात्मक कदमों के बारे में बताते समय ऐसे वाक्य से हम लोगों का परिचय करवाया था. यह वाक्य असल में ऐसा नहीं हुआ करता था बल्कि जो पहरेदार, सुरक्षाकर्मी अपनी ड्यूटी में तैनात हुआ करते थे उनके द्वारा मूल वाक्य को कुछ इस रूप में बोला जाता था.




इस वाक्य का मूल वाक्य भी आपके बीच रखेंगे पहले इसके बोले जाने का कारण तो पढ़ लीजिये. सुरक्षा बलों की तैनाती की जगह पर, कार्यालय, घरों आदि की सुरक्षा में तैनात कर्मियों द्वारा यह वाक्य उस समय जोर से बोला जाता था जब कोई उनकी निर्धारित सीमा के भीतर प्रवेश कर जाता था. इस वाक्य के द्वारा वे सामने से आने वाले की, सीमा रेखा में घुस आने वाले की पहचान करते थे कि वह दोस्त है अथवा दुश्मन. अब आप सोचेंगे कि एक जरा से वाक्य से कोई कैसे पहचान सकता था कि अन्दर आने वाला दोस्त है या दुश्मन. जी हाँ, सही सोचा आपने. असल में सुरक्षा कर्मियों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के अपनी सीमा रेखा में घुस आने वाले को गोली मार देने तक के आदेश हुआ करते थे. इसलिए जैसे ही कोई संदिग्ध व्यक्ति इन सुरक्षा कर्मियों को अपनी सीमा में घुसता दिखाई देता था तो वे जोर से बोलते थे, हाल्ट हुकुम सर देयर. फंडर फ़ो. ऐसा वे तीन बार जोर-जोर से बोला करते थे. उसमें जवाब मिल जाने पर तो ठीक अन्यथा की स्थिति में वे सुरक्षा कर्मी उस संदिग्ध पर गोली भी चला देते थे.


यह वाक्य सुरक्षा कर्मियों के अल्प शिक्षित होने, ग्रामीण अंचलों से होने के कारण इस तरह बोला जाने लगा था. मूल वाक्य इस तरह का नहीं हुआ करता था. हॉल्ट, हू कम्स देयर, फ्रेंड ऑर फ़ो?  के द्वारा सामने आने वाले से जानकारी ली जाती थी कि वह दोस्त है या दुश्मन. सामने वाला भी पहली बार में ही अपना जवाब दे दिया करता था.


बाबा जी बताया करते थे कि कई बार दुश्मन की तरफ से अचानक से हमला हो जाया करता था. सुरक्षा कर्मियों को बोलने का, पूछने का मौका ही नहीं मिल पाता था कि हाल्ट. हुकुम सर देयर, फंडर फ़ो? और वे इसे बोलने, पूछने के पहले ही दुश्मन के हमले का शिकार हो जाया करते थे. कुछ इसी तरह का दुश्मन अबकी हमारे बीच है, जो हमारी सुरक्षा व्यवस्था को पूछने का अवसर ही नहीं दे रहा है कि हू कम्स देयर, फ्रेंड ऑर फ़ो? वह तो बस सीधे हमला कर दे रहा है. हमारी इम्युनिटी को, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर दे रहा है.


जी हाँ, सही समझे आप, कोरोना अबकी ऐसा ही दुश्मन बनके आया है जिसने पूछने का मौका ही नहीं दिया. अभी भी मौका है संभलने का, अपने सुरक्षा तंत्र को सजग बनाने का. अपनी क्षमता को मजबूत कीजिये, अपनी इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाइए और किसी भी दुश्मन के हमला करने से पहले, उसके सीमा रेखा में घुसने के पहले ही सुरक्षा तंत्र को पूछने दीजिये, हाल्ट, हुकुम सर देयर.....


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10 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी नानीजी भी एक ऐसा ही किस्सा बताती थी ।उनके पिताजी कलक्टर थे ।वहाँ जो चौकीदार पहरा देता था वो हुकुम सदर की आवाज़ करता था उसका आशय Who comes there था।

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  2. वाह!
    मेरे लिए नई जानकारी रोचक और अंत तक आते आते सामायिक महामारी से तुलना बहुत सटीक रही।
    अभिनव लेख।

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  3. महामारी और सुरक्षा एक ही संदर्भ में जोड़कर रोचक और बढ़िया लेख लिखा है आपने।
    --
    प्रणाम सर
    सादर।

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  4. बहुत ही रोचक जानकारी... सहीकहा कोरोना जैसे दुश्मन पर भी फिट बैठती हुई।

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  5. हाल्ट, हुकुम सर देयर, फंडर फ़ो!!! सटीक रोचक लेख राजा साहब 👌👌👌👌🙏🙏

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  6. सरकारी सुरक्षा तंत्र के क्षेत्रों में अब भी ऐसे ही पूछा जाता है। यह अलग बात कि वे क्या बोलते समझ नहीं आता था। बाद में पता किया तो जानकारी मिली। कोरोना इतना क्षण नहीं देता कि कोई पूछे और बताए। बस हमला कर दिया। जीतेगा वही जिसके पास ज़ोरदार इम्यूनिटि है। वैसे तुलना बड़ा अच्छा लगा।

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  7. रुको नहीं तो गोली मार दूंगा यह तो फिल्मों से लेकर उपन्यास तक कई बार सुना है इसका विस्तार से अर्थ आज मालूम हुआ

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