किसी भी तरह की समस्या से कैसे निकलना है यह खुद हम पर निर्भर करता है. ये व्यक्ति की मनोदशा पर, उसके व्यवहार पर निर्भर करता है कि वह किसी भी विषम परिस्थिति में खुद को संयमित करते हुए उसे अपने पक्ष में करे. पिछले वर्ष 2020 से जबसे कोरोना ने अपनी गिरफ्त में देश को लिया उसी के बाद से बहुत से लोगों में दहशत में आ गए थे. यह दहशत इस वर्ष और बढ़ गई जबकि कोरोना की दूसरी लहर का कहर दिखा. ये समय अप्रैल मध्य से भयावह सा दिखाई देने लगा था. उसी भयावहता के बीच लगातार यह प्रयास रहा कि सबको इस भयावहता से, दहशत से बचा सकें. इसके लिए लगातार लोगों से बात करना, उनके अन्दर विश्वास जगाना, उनको हिम्मत देना आदि को मिलकर, फोन से करना शुरू किया. इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आये.
इसी में एक रात सोशल मीडिया पर अपने अनेक मित्रों के बीच इसी तरह की कुछ सकारात्मक बातों पर चर्चा हो रही थी. बात की बात में रंगमंच की कलाकार, साहित्यकार और हमारी मित्र गीतिका वेदिका ने किसी चर्चा पर एक शब्द यार दिलदार छोड़ा. बस उसी समय मन में, दिल में एक विचार आया कि कुछ ऐसा किया जाये जिसमें अपने दोस्तों के बारे में चर्चा की जाये. तुरंत उसी समय यार-दिलदार के नाम से एक एल्बम सोशल मीडिया पर बनाया. यह काम 06 मई 2021 को शुरू किया. उस समय सिर्फ फोटो लगाने का विचार था. अपने बचपन के मित्रों से, कॉलेज समय के मित्रों से उस एल्बम को सजाना शुरू किया. शुरू में यही लग रहा था कि लोगों की निगाह में यह एक चलताऊ सा काम होगा. ऐसे एल्बम में लोगों को रुचि नहीं होगी. आखिर कोई क्यों हमारे मित्रों के बारे में उत्सुकता दिखाएगा?
चूँकि माहौल कोरोना के कारण, लॉकडाउन के कारण एकाकी था, भयावह था, दहशत से भरा हुआ था. ऐसे में लोग कुछ नया सा होते अपने बीच देखना चाह रहे होंगे और शायद इसी सोच के कारण शुरू के एक-दो दिन बाद ही यार-दिलदार एल्बम में लोगों ने उत्सुकता दिखाना शुरू की, अपनी रुचि प्रदर्शित की. मित्रों की फोटो, बहुत पुराने मित्रों की फोटो, पुराने दिनों की फोटो देखकर लोगों में भी ख़ुशी दिखाई दी. बहुत से लोगों ने अपनी फोटो के बारे में भी चर्चा की. बहुत से लोगों ने हमारे मित्रों के बारे में जानने की भी इच्छा प्रकट की. ऐसे में लगा कि किसी गम्भीर माहौल को कुछ हल्का-फुल्का बनाने के उद्देश्य से यार-दिलदार एल्बम बनाना सफल रहा.
बहुत से लोगों ने जब मित्रों के बारे में जानना चाहा, सम्बंधित चित्रों की कहानी जाननी चाही तो लगा कि अब अपने उन्हीं दोस्तों के बारे में, दोस्तों के साथ खिंचाई फोटो के बारे में, उस फोटो से सम्बंधित कहानी के बारे में, मित्रों के साथ गुजारे दिनों के बारे में भी बताया जाना चाहिए. इस तरह के काम से यदि लोगों को अपने पुराने दिन याद आ जाएँ, अपने मित्र याद आ जाएँ, मित्रों के साथ गुजारे सुहाने दिन याद आ जाएँ तो यह काम अच्छा ही कहा जायेगा. बस इसी अच्छे काम को अब ब्लॉग पर भी लगाया जायेगा. अपने मित्रों की फोटो और कहानी यहाँ भी आएगी, आप लोग भी घूमियेगा हमारे साथ, हमारे सुहाने दिनों में, हमारे मित्रों के साथ.
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