24 मई 2021

यार की यारी और रात की आवारगी

उस शाम अचानक से एक मित्रवर प्रकट हुए घर पर. लगभग सोलह-सत्रह साल बाद राहुल को अपने सामने देखकर आश्चर्य ही हुआ. बरसों-बरस की बातें शुरू हुईं तो फिर उस रात उसे उरई में रह रहे उसके रिश्तेदार के घर वापस न जाने दिया. अगली सुबह किसी जरूरी काम को निपटाने के बाद शाम को आने का कहकर महाशय चले गए.


उस शाम अगले का आना न हुआ. चूँकि जब महाशय उरई में पढ़ते थे तो उरई में जितनी जनसंख्या थीउससे कहीं ज्यादा उनकी रिश्तेदारियाँ थीं. यही सोचकर कि पता नहीं किसके साथ अड्डेबाजी कर रहे होंगे, उसे फोन न किया. अगला दिन भी खाली निकल गया तो रात को लगभग दस बजे उसे फोन किया.


जैसा कि एक ही लँगोटी बाँधने वाले दोस्तों के साथ बातचीत होती है, वैसे ही अत्यंत शालीन (इतने शालीन कि उन शब्दों को यहाँ लिख नहीं सकते) शब्दों में उसके न आने का कारण पूछा तो अगले ने कहा कि बस दस मिनट में बताते हैं.


पाँच मिनट बाद ही राहुल का फोन आया कि हम घर आ रहे हैं मगर घर में न बैठेंगे. उरई घूमेंगे. हमने हामी भर दी और लगभग पंद्रह मिनट बाद अपनी चिर-परिचित मुस्कान, हड़बड़ी के साथ महाशय घर के दरवाजे पर थे. एक मिनट को भी न बैठने की जिद के साथ बस उरई घूमने की रट लगी हुई थी.




बिना एक पल की देरी किये हम दोनों स्कूटर पर सवार हो निकल लिए रात लगभग साढ़े दस बजे उरई की सड़कों पर. अभी अपनी गली से निकल कर सड़क पर आये ही थे कि महाशय ने अगली रट लगाईं हमारा स्कूटर चलाने की. अगल-बगल पहिये लगे होने के कारण स्कूटर एक तरफ को भागता है. हर एक के लिए चलाना सहज नहीं होता है. कुछ ऐसा ही राहुल के साथ हो रहा था मगर प्रत्येक काम को कुशलता से कर लेने के हुनर के चलते वह धीमी गति से स्कूटर को एक तरह से सड़क पर इधर-उधर लहराते हुए लुड़का सा रहा था. देर रात सुनसान सड़क पर ऐसे लहराते हुए स्कूटर चलाते देख कुछ दूर तक पुलिस की एक जीप हम लोगों के पीछे लग गई. किसी तरह की आपत्तिजनक स्थिति न देखकर जीप कुछ देर बाद आगे निकल गई.


इसके बाद स्कूटर की ड्राइविंग सीट पर बैठे हम और स्कूटर ने उरई की सड़कों को नापना शुरू किया. इधर-उधर की जगहों को घुमाने के बाद रेलवे स्टेशन की सैर करने पहुँच गए. वहाँ की चाय, रसगुल्ले के साथ हंगामा चलता रहा. ट्रेन के साथ फोटो, वीडियो बनाये गए तो प्लेटफ़ॉर्म पर मस्ती की जाती रही. लगभग चार बजे के आसपास राहुल ने उस ट्रेन की आने की स्थिति मालूम की, जिससे उसे जाना था. जानकारी मिली कि ट्रेन एक घंटे लेट है. उसके बाद वापस घर लौटना हुआ. घर की एक कप गरमागरम चाय को डकार कर राहुल अपने रिश्तेदार के घर को निकल पड़ा. हमने कहा कि रुको छोड़ आते हैं तो वो बोला, न रहने दो. अभी दौड़ते हुए जाकर बापू को उठाएँगे और कहेंगे कि देखो हम मॉर्निंग वाक करके भी लौट आये, आप अभी तक सो रहे हैं.


हँसी का ठहाका लगाते हुए महाशय भोर के धुंधलके में गुम हो गए. बाद में अगले का फोन आया जबकि ट्रेन ने उसको अपने अन्दर बिठा कर दौड़ना शुरू कर दिया था.


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