25 मई 2021

कमर के एक ठुमके से भीड़ छाँट देने वाला मित्र

हमें ब्लॉगिंग का चस्का लगा वर्ष 2008 में. लिखास और छपास रोग ने इंटरनेट के तत्कालीन बेहतरीन मंच से परिचित करवाया. उस दौरान खूब लिखा जाता और खूब पढ़ा जाता. अब इधर बहुत से ब्लॉगर मित्र सोशल मीडिया के दूसरे-दूसरे मंचों पर सक्रिय हो गए हैं जिसके कारण बहुत से ब्लॉगर साथी अब ब्लॉग पर कम दिखाई पड़ते हैं. बहरहाल, उन दिनों खूब लिखने, पढ़ने, टिप्पणी करने के कारण बहुत से ब्लॉगर मित्रों से आत्मीय सम्बन्ध भी बन गए थे.


आपस में अपनत्व का भाव भी खूब था. एक-दूसरे की मदद करने को भी बहुत से लोग आगे रहते थे. नए-नए लोगों को आगे बढ़ाने का काम भी बहुत से लोग करते थे. ब्लॉगिंग ने बहुत सारे मित्र बनवा दिए थे मगर मिलना उस समय किसी से नहीं हुआ था. एक तो हमारी आवागमन की समस्या बनी हुई थी, साथ ही ऐसा कोई अवसर नहीं मिल पा रहा था कि ब्लॉग जगत के साथियों से मिलना हो सके.


उन्हीं दिनों लखनऊ में ब्लॉगिंग से जुड़ा हुआ एक आयोजन हुआ. जानकारी मिली कि उसमें बहुत से ब्लॉगर साथी आ रहे हैं. लखनऊ पहुँचना मुश्किल नहीं था सो हम भी निश्चित दिन पर अपना पंजीकरण करवा कर पहुँच गए. उस आयोजन में मंच की अपनी व्यवस्था थी, जिस पर उस समय के प्रतिष्ठित ब्लॉगर साथियों का कब्ज़ा था. बहुत से वरिष्ठ और प्रतिष्ठित ब्लॉगर हॉल में अपनी गरिमामयी उपस्थिति बिखेरने में लगे थे. मंचासीन वक्ता अपने विचार रखने में मगन थे तो नीचे श्रोताओं में ज्यादातर लोग आपस में मिलने-जुलने में व्यस्त थे. मिलने वालों के चेहरे पर उत्साह था, ख़ुशी झलक रही थी.


अभी तक फोटो और विचारों के द्वारा परिचित कुछ साथियों को हमने पहचाना तो कुछ साथियों ने हमें पकड़ लिया. इसी पकड़ा-पकड़ाई में हमें शिवम भाई ने जकड़ लिया. ब्लॉगिंग में उस समय हम नए-नए उसी तरह संकोच में थे जैसे कोई नया विद्यार्थी हॉस्टल में संकोच में रहता है. शिवम ने ही हमारा कई ब्लॉगर साथियों से परिचय करवाया. मेल-मिलाप के इसी क्रम में भोजन का समय भी आ गया.


जब हम लोग गपियाते हुए भोजन हॉल के पास पहुँचे तो वहाँ पर्याप्त भीड़ थी. उस भीड़ को देखकर हम लोग बाहर आकर प्रतीक्षा करने लगे. लग रहा था जैसे भीड़ कम नहीं होने वाली. एक तो भोजन और उसके साथ भोजन करते हुए सभी से मिल लेने की उत्कंठा, सो हॉल के अन्दर जाने वाला बाहर आने का नाम नहीं लेता. ऐसे में शिवम ने मौज लेते हुए कहा कि यदि अब भीड़ कम न हो तो कहिये अन्दर घुसकर कमर का एक ठुमका लगायें, आधी भीड़ छंट जाएगी. चार-छह लोगों को एक झटके में इधर-उधर कर देने वाली उनकी कमर का आकार देख हम सभी ठहाका मार कर हँस दिए.


लखनऊ के उस ब्लॉगर सम्मलेन ने बहुत से साथियों से परिचय करवाया, संपर्क करवाया. बहुत से मित्र आज भी संपर्क में हैं. बहुत से आत्मीय संबंधों में हैं. शिवम मिश्रा भाई उन्हीं में से एक हैं. उनकी वो बरसों पुरानी बात हमें कभी न भूली और एक दिन वही याद दिलाते हुए उनको खूब हँसाया.


(उस समय हमारे पास कैमरा नहीं था और कैमरे वाला मोबाइल भी नहीं हुआ करता था. शिवम भाई ने ही ये फोटो उपलब्ध करवाई थी.)

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी यादें। ब्लॉगर मीट होते रहना चाहिए।

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  2. कमर के झटके देने वाला आपका आईडिया फिर काम आ गया हा हा हा अपने शेर ने corona को कमर के झटके से चक्करगिन्नी खिला दी, सौ बरस का होगा अपना शिवम और खूब सुंदर,स्वस्थ,समृद्ध और सुरक्षित लम्बे जीवन का सपरिवार आनंद लेगा। अब जल्दी एकदम स्वस्थ हो जाओ बबुआ!

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  3. कुमारेंद्र सर!आप अच्छा लिखते हैं, सच्ची मुच्ची वाला अच्छा जो संक्षिप्त और सरस होता है।

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