05 मई 2021

मानसिक रूप से स्वस्थ रहने को स्वार्थी बन जाएँ

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण लोगों में बुरी तरह से दहशत दिखाई दे रही है. यह डर कोरोना को लेकर कम है. उससे ज्यादा डर लोगों की होती मौतों का है. बहुत से लोग अपने आसपास से इतर न जाने कहाँ-कहाँ की खबरों को खुद में समेट कर अपने भीतर डर का एक वातावरण पैदा कर ले रहे हैं. कोरोना की पहली लहर के बाद से सबको भली-भांति समझाया गया था कि किस तरह से इसका सामना करना है, कैसे इसका बचाव करना है. इसके बाद भी लोगों की लापरवाही भयंकर तरीके से देखने को मिली.

खैर जो हुआ सो हुआ, अब उस पर चर्चा करने से कोई फायदा नहीं है. अब बात इसकी होनी चाहिए कि कैसे इस माहौल से निकला जाये? कैसे इस माहौल को सामान्य बनाया जाये? कैसे इधर-उधर से आ रही अनावश्यक खबरों से बचा जाये? यदि हम इस समय पर निगाह दौडाएं तो स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि बहुत से लोग घरों में बैठे हैं. जो नहीं बैठ पा रहे थे उनके लिए लॉकडाउन जैसे प्रावधान किये गए. कुल मिलाकर घर में सबके रहने का कारण शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है. इस समय हम सभी शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए खुद तक सीमित हैं. अपने परिवार संग अपने घरों में बैठे हैं. न पारिवारिक आयोजनों में जा रहे न सामाजिक आयोजनों में. ऐसा करना भी एक तरह का स्वार्थ है.

क्या इसी तरह का स्वार्थ हम मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नहीं अपना सकते? जितना आवश्यक आज हमारा शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना है उतना ही महत्त्वपूर्ण है हमारा मानसिक रूप से स्वस्थ रहना. सो बस इसी तरह से मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कुछ दिन खुद तक सीमित हो जाइए. न अपने शहर की बुरी खबरें सुनिए न दूसरों के शहर की. न किसी को बुरी खबरें सुनाइए न किसी से बुरी खबर सुनिए. जैसे पिछली बार घर में रहते हुए जलेबी बनाने, खाना बनाने, व्यंजन बनाने, ड्राइंग करने, बागवानी करने आदि की फोटो लगाते थे वैसे ही इस बार अच्छी-अच्छी खबरें फैलाइए, अच्छी-अच्छी बातें करिए, फोन करके एकदूसरे का विश्वास बनिए. ऐसा करके देखिए, ये दिन बहुत ही सहजता से निकल जाएँगे. आपके मन से, दिल से, दिमाग से सारे भय निकल जाएँगे. 

 
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वंदेमातरम्

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