03 जनवरी 2021

यूँ ज़िन्दगी से नहीं जाना था ज़िन्दगी भर के लिए

किसी से पहचान होना, किसी से कोई रिश्ता बन जाना, किसी से सम्बन्ध हो जाना, किसी से दोस्ती होना, किसी से सामान्य सा व्यवहार रखना आदि ऐसा लगता है जैसे अपने हाथ में नहीं वरन पूर्व निर्धारित होता है. कोई अकारण ही मन को, दिल को पसंद आने लगता है. कभी ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति ने कुछ बुरा नहीं किया होता है, उससे कोई सम्बन्ध भी नहीं होता है इसके बाद भी वह दिल को, मन को पसंद नहीं आता है. बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनसे कभी मुलाकात न होने के बाद भी ऐसे लगता है जैसे जन्मों की जान-पहचान है, मुलाकात है. कई बार ऐसा होता है कि किसी से पहली बार मिलने पर भी ऐसा एहसास होता है जैसे उसके साथ वर्षों का सम्बन्ध रहा हो.


इधर सोशल मीडिया के दौर में बहुत से मित्र ऐसे बने जिनके साथ सोशल मीडिया पर बातचीत के अलावा कभी किसी भी रूप में मिलना न हुआ. ऐसे बहुत से मित्र हैं जिनकी पोस्ट, फोटो, वीडियो से ऐसा लगता है जैसे उनसे रोज ही बात होती है, रोज ही मुलाकात होती है. इस मंच के तमाम आभासी, वास्तविक पहलुओं के बीच एक पहलू यह भी है कि बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दिल के किसी कोने में हमेशा-हमेशा के लिए चिर-परिचित की तरह बस जाते हैं. ऐसे लोगों से कभी मुलाकात न होने के बाद भी वे बहुत करीबी से, बहुत अपने से लगते हैं. इन तमाम मित्रों में से कुछ ही ऐसे ख़ास बन जाते हैं जो दिल के बहुत ही करीब हो जाते हैं. इनकी कोई न कोई विशेषता ही इन्हें ख़ास बनाती है. कोई अपनी लेखन शैली से प्रभावित करता है तो कोई अपने व्यवहार से. किसी में हास्य-बोध का गहरा भाव छिपा होता है तो कोई अत्यंत संवेदनशील होता है. किसी का साहित्य-प्रेम आकर्षित करता है तो किसी की कलात्मक अभिरुचि उसे विशेष बनाती है.


सोशल मीडिया के ऐसे ही विशेष मित्रों में एक नाम ने बहुत जल्दी सभी के दिलों में जगह बना ली थी. चुलबुली, हास्य-बोध से भरी पोस्ट के द्वारा निधि जैन ने सबके दिल-दिमाग में अपना कब्ज़ा जमा लिया था. चुहल भरी पोस्ट, फोटो आदि के साथ आकर्षित करता उसका उपनाम ‘निंबोरी’ भी सबको बहुत पसंद आया था. बुन्देलखण्ड क्षेत्र में किसी महिला के लेखन में अत्यंत सरल होते हुए भी उतना ही गंभीर हास्य-व्यंग्य बोध देखने को नहीं मिला था. लगता था जैसे यह नाम किसी दिन हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में बड़ा नाम बनेगा लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था.


नया वर्ष आया और आते ही उसने अत्यंत दुखद खबर से सोशल मीडिया के तमाम मित्रों को अन्दर तक हिलाकर रख दिया. एक हृदयविदारक दुर्घटना में निधि असमय सभी से दूर चली गई. वह आज का ही दिन था मगर आज पाँच वर्ष बीत जाने के बाद भी लगता है जैसे यह अभी-अभी की घटना हो. उससे कभी मिलना नहीं हुआ मगर ऐसा लगता है जैसे कोई बहुत करीबी हमेशा के लिए जुदा हो गया है. चूँकि सोशल मीडिया सभी को फ्रेंड की परिभाषा में शामिल करता है, निधि भी हमारी फ्रेंड लिस्ट में थी. दोस्तों की उस सूची के कई मित्र असमय हमसे हमेशा-हमेशा के लिए दूर चले गए, उस लिस्ट में एक दिन निधि भी शामिल हो जाएगी, सोचा न था. होनी को जो मंजूर होता है, उसे कोई नहीं टाल सकता है किन्तु यह अवश्य कह सकते हैं कि एक ऐसा मित्र जिससे कभी मुलाकात नहीं हुई वह कब दिल के, मन के कोने में स्थायी रूप से अपनी जगह बनाकर बैठ गया पता ही नहीं चला. दोस्ती अपने इसी स्वरूप के कारण पावन, पुनीत बनी हुई है और इसी कारण से सभी रिश्तों से ऊपर दोस्ती का रिश्ता हमेशा-हमेशा के लिए बहुत गहरे से जुड़ा रहता है. 


यूँ तो ज़िन्दगी नहीं होती किसी की

ज़िन्दगी भर के लिए,

पर ज़िन्दगी से नहीं जाना था ऐसे भी

ज़िन्दगी भर के लिए.


सादर श्रद्धांजलि, निधि जैन 'निंबोरी'




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वंदेमातरम्


2 टिप्‍पणियां:

  1. आह! क्या लिखूँ? कैसे लिखूँ? 'निम्बोरी' मेरे मित्रों में भी शामिल थी. उनके जाने के समाचार ने शॉक्ड कर दिया था. फिर सारी यादें आँखों के सामने से गुजर रही है जिसमें चलचित्र की भाँति चित्र नही सिर्फ़ कंप्युटर स्क्रीन पर उभरे शब्द हैं. 🙏

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  2. सच है, आभासी दुनिया के कारण संबंध जुड़ता है मगर कुछ तो है जो कुछ के साथ नज़दीकी महसूस होती है। ऐसे में उसका सदा के लिए चला जाना पीड़ादायक है। हार्दिक श्रद्धांजलि।

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