हमारा और कलम का जैसे पिछले जन्मों का सम्बन्ध है. बचपन से अभी तक साथ बना हुआ है. फाउंटेन पेन किसी भी तरह के हों, सस्ते हों या मँहगे, प्लास्टिक के हों या धातु के, फाउंटेन पेन हों या बॉल पेन सभी हमें बहुत पसंद हैं. किसी नए शहर में जाना होता है तो वहाँ का प्रसिद्द सामान एकबारगी भले ही न खरीदा जा सके परन्तु पेन की खरीद अनिवार्य रूप से होती है. हमने खुद में महसूस किया है कि पेन को लेकर एक तरह का नशा है. इस बारे में किसी तरह की कोई शर्म-लिहाज हम नहीं रखते हैं. बहुत बार ऐसा हुआ कि उम्र, अनुभव, रिश्ते में हमसे बड़े, सम्मानित लोगों ने अपने किसी काम के लिए हमसे पेन माँगा और यदि उनके द्वारा वापस करने में जरा भी चूक होती है तो हम उसे सुधार लेते हैं. जैसा कि बहुत से लोगों द्वारा ऐसा होता है कि अपना काम निपटाया और पेन वापस न देकर वे अपनी जेब की शरण में पहुँचा देते हैं, ऐसी स्थिति सामने आने पर हम निसंकोच, बिना इसका विचार किये कि कहीं सामने वाला इसे अन्यथा न ले ले, हम अपना पेन माँग लेते हैं.
(चित्र - 1) |
फाउंटेन पेन के प्रति हमें विशेष लगाव सा है. इस पर कुछ लिखने का विचार बहुत दिनों से बन रहा था. आज इसी चक्कर में अपनी इस बगिया में टहलने निकल पड़े. कुछ यादों के साथ बहुत से मित्र सामने आ गए. अभी बस एक-दो विशेष फाउंटेन पेन आपके सामने. इसमें एक पेन हमारे पास है जिसमें दोनों तरफ निब है, इसके चलते इसे दोनों तरफ से लिखा जा सकता है. इस पेन में दोनों तरफ स्याही भरने की जगह है. इस कारण दो रंग की स्याही को एक ही पेन में उपयोग में लाया जा सकता है. इस पेन को हमने आज से करीब पच्चीस वर्ष पूर्व खरीदा था. (चित्र – 1)
(चित्र - 2) |
ये जो दो फाउंटेन पेन आपको दिख रहे हैं, ये हमारे पिताजी के हैं. उनको भी फाउंटेन पेन से लिखने का शौक था. पिताजी के न रहने के बाद से ये हमारे खजाने की शोभा बने हुए हैं. पिताजी की तमाम सारी यादों और चीजों की तरह हम इनको सुरक्षित रखे हुए हैं. इसमें एक पेन (ऊपर वाले) की विशेषता यह है इसमें स्याही भरने के लिए एक तरह का लीवर लगा हुआ है. चित्र में इसे आप देख भी सकते हैं. फाउंटेन पेन की निब को स्याही की शीशी में डुबो कर इसी की सहायता से इसमें स्याही भरी जाती थी. इस पेन का उपयोग करने का हमें मौका कभी नहीं मिला. इसी चित्र में नीचे वाला दूसरा पेन सामान्य पेन है. यह हमारे लिए महत्त्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि बचपन में अपनी वार्षिक परीक्षाओं के दौरान इसका उपयोग करने की अनुमति हमें पिताजी की तरफ से मिल जाया करती थी. इन दोनों फाउंटेन पेन की एक विशेषता ये भी है कि ये दोनों पेन उम्र में हमसे बड़े हैं. अब इनको उपयोग में नहीं लाया जा रहा है, बस विरासत के तौर पर, पिताजी की स्मृति में ये दोनों फाउंटेन पेन हमारे पास सुरक्षित हैं. (चित्र – 2)
हरिः ॐ तत्सत्
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यति faunten पेन पर सुन्दर आलेख
फाउंटेन पेन के प्रति हमें विशेष लगाव सा है. इस पर कुछ लिखने का विचार बहुत दिनों से बन रहा था. आज इसी चक्कर में अपनी इस बगिया में टहलने निकल पड़े. कुछ यादों के साथ बहुत से मित्र सामने आ गए. अभी बस एक-दो विशेष फाउंटेन पेन आपके सामने. इसमें एक पेन हमारे पास है जिसमें दोनों तरफ निब है, इसके चलते इसे दोनों तरफ से लिखा जा सकता है. इस पेन में दोनों तरफ स्याही भरने की जगह है. इस कारण दो रंग की स्याही को एक ही पेन में उपयोग में लाया जा सकता है. इस पेन को हमने आज से करीब पच्चीस वर्ष पूर्व खरीदा था
सदर नमन
आचार्य प्रताप
प्रबंध निदेशक
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