03 दिसंबर 2020

बेहतर पुनर्निमाण : दिव्यांगजनों के लिए समावेशी, सुलभ और अनुकूल माहौल हो

आज, 03 दिसम्बर को सभी देश दिव्यांगजनों के लिए मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस मना रहे हैं. वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रुप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था. इस दिवस के मनाये जाने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार और बराबरी के मौकों पर जोर देने के लिये योजना बनाना है. इस दिवस का आरम्भ भले ही वर्ष 1981 से कर दिया गया हो मगर सन 1992 से संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय रीति-रिवीज़ के रुप में प्रचारित किया जा रहा है. विकलांगों के प्रति सामाजिक कलंक को मिटाने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने के लिये उनके वास्तविक जीवन में बहुत सारी सहायता को लागू करने के द्वारा तथा उनको बढ़ावा देने के लिये साथ ही विकलांग लोगों के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिये इसे सालाना मनाने के लिये इस दिन को खास महत्व दिया जाता है. इसके बाद से ही सन 1992 से इसे पूरी दुनिया में हर साल से लगातार मनाया जा रहा है.  


समाज में आज भी दिव्यांगजनों के प्रति विभेद देखने को मिलता है. समाज के बहुत से क्षेत्रों में उनके साथ आज भी दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है. कई बार उनको उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समाज में सभी विकलांग लोगों को शामिल करने की दिशा में काम करने को प्रेरित करना भी आज के दिन का उद्देश्य है. दिव्यांगजनों के प्रति उपेक्षा का भाव रखने की स्थिति ये है कि ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि उनके घर के आसपास कितने लोग दिव्यांग हैं. लोगों को इसकी भी जानकारी नहीं कि समाज में दिव्यांगजनों को बराबर का अधिकार मिल रहा है या नहीं. ऐसे में दिव्यांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में,  दिव्यांगजनों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये इस दिवस को मनाना बहुत आवश्यक है.



संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व विकलांग दिवस की एक थीम प्रतिवर्ष निश्चित कर दी जाती है. उसी के अनुसार प्रतिवर्ष दिव्यांगजनों के हितार्थ कार्य होते रहते हैं. विगत कुछ वर्षों की थीम इस तरह से हैं.


वर्ष 1998 - कला, संस्कृति और स्वतंत्र रहन-सहन

वर्ष 1999 - नयी शताब्दी के लिये सभी की पहुँच

वर्ष 2000 - सभी के लिये सूचना क्रांति कार्य निर्माण

वर्ष 2001 - पूर्ण सहभागिता और समानता: प्रगति आँकना और प्रतिफल निकालने के लिये नये पहुँच मार्ग के लिये आह्वान

वर्ष 2002 - स्वतंत्र रहन-सहन और दीर्घकालिक आजीविका

वर्ष 2003 - हमारी खुद की एक आवाज

वर्ष 2004 - हमारे बारे में कुछ नहीं, बिना हमारे

वर्ष 2005 - विकलांगजनों का अधिकार: विकास में क्रिया

वर्ष 2006 - ई-एक्सेसिबिलीटी

वर्ष 2007 - विकलांगजनों के लिये सम्माननीय कार्य

वर्ष 2008 - विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर सम्मेलन : हम सभी के लिये गरिमा और न्याय

वर्ष 2009 - एमडीजी का संयुक्त निर्माण : पूरी दुनिया में विकलांग व्यक्तियों और उनके समुदायों का सशक्तिकरण

वर्ष 2010 - वादे को बनाये रखना : 2015 और उसके बाद की ओर शताब्दी विकास लक्ष्य में मुख्यधारा विकालांगता

वर्ष 2011 - सभी के लिये एक बेहतर विश्व के लिये एक साथ : विकास में विकलांग व्यक्तियों को शामिल करते हुए

वर्ष 2012 - सभी के लिये एक समावेशी और सुगम्य समाज उत्पन्न करने के लिये बाधाओं को हटाना

वर्ष 2013 - बाधाओं को तोड़ें, दरवाज़ों को खोलें : सभी के लिये एक समावेशी समाज और विकास

वर्ष 2014 - सतत् विकास : तकनीक का वायदा

वर्ष 2015 - समावेश मायने रखता है : सभी क्षमता के लोगों के लिये पहुँच और सशक्तिकरण

वर्ष 2016 - भविष्य के लिए 17 लक्ष्य हासिल करना

वर्ष 2017 - सभी के लिए टिकाऊ और लचीला समाज की ओर परिवर्तन

वर्ष 2018 - विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाओ तथा उनके समावेश और समानता को सुनिश्चित करो

वर्ष 2019 - विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व और उनकी भागीदारी को बढ़ावा देना

वर्ष 2020 - बेहतर पुनर्निमाण : कोविड-19 के बाद की दुनिया में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी, सुलभ और अनुकूल माहौल हो

 

सभी नागरिकों से यही अपेक्षा है कि जब इस बीमारी (कोविड-19) से समूचा विश्व प्रभावित है, तब अपने आसपास के दिव्यांगजनों के साथ बराबरी का व्यवहार करें. उनको किसी से कमतर न समझें. उनको हीनभावना से नहीं बल्कि समाज के एक जिम्मेवार, सम्मानित नागरिक की तरह ही देखें, समझें. ऐसी भावना के साथ ही हम लोग समाज के दिव्यांगजनों के विकास, विश्वास में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.

 

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वंदेमातरम्

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