24 दिसंबर 2020

सेल्फ मेड पर्सन का अहंकार करने वालों को भी चार कन्धों की दरकार

कई बार बातचीत के दौरान, बहुत से सफल व्यक्तियों के बारे में पढ़ने, देखने के दौरान एक सामान्य सा वाक्य उनके बारे में देखने को मिलता है कि ऐसे व्यक्ति सेल्फ मेड पर्सन हैं. इतिहास में भी ऐसे बहुत से लोग रहे हैं जिनके बारे में पढ़ने को यही मिलता है. आज भी ऐसे बहुत से लोगों के बारे में यही कहा जाता है. क्या वाकई कोई भी व्यक्ति सेल्फ मेड पर्सन होता है? क्या उस सफल व्यक्ति ने वाकई किसी की सहायता किसी न रूप में नहीं ली होगी? क्या उसको जो सहायता मिली या दूसरे लोगों से जो मदद मिली वह उसकी सफलता में सहायक न समझी जाएगी? समय के साथ ऐसे लोग अपनी किसी भी सफलता के लिए सिर्फ और सिर्फ खुद को ही जिम्मेवार मानते हैं. ऐसे लोगों के द्वारा अक्सर यह कहते सुना जाता कि वे किसी के मोहताज नहीं. उन्हें किसी की मदद की आवश्यकता नहीं.


समाज का कोई भी दौर रहा हो, कैसे भी लोग रहे हों, कैसा भी आर्थिक-सामाजिक ढाँचा रहा हो क्या वाकई कुछ लोग ऐसे रहते हैं जिन्हें कभी किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती? क्या समाज में किसी भी व्यक्ति का कोई भी कार्य बिना किसी की सहायता के होना संभव है? ये और बात है कि कोई सफल व्यक्ति किसी अन्य पर पूरी तरह से निर्भर न रहता हो मगर यह कहना कि उसे किसी की आवश्यकता ही नहीं, नितांत गलत है. यह वह स्थिति है जो व्यक्ति में घमंड का, अहंकार का भाव पैदा करती है. कोई भी व्यक्ति कितना भी बड़ा आर्थिक अथवा किसी अन्य तरह का साम्राज्य विकसित क्यों न कर ले, उसके पीछे उसमें संलिप्त सहायकों का हाथ अवश्य होता है.




ऐसे दौर में जबकि व्यक्ति किसी भी संसाधन, किसी भी सुविधा को धन के द्वारा अर्जित करने का अहंकार पाल लेता है, ऐसे दौर में जबकि किसी भी व्यक्ति को यह लगने लगता है कि उसे किसी की आवश्यकता नहीं, ऐसे समय में जबकि किसी भी व्यक्ति के लिए खुद को ही सभी कामों के लिए प्रभावी समझना शुरू कर दिया जाता है तब उसे अपने आसपास के माहौल पर ध्यान देना चाहिए. कोई व्यक्ति कितना भी बड़े पद का हो, किसी भी प्रस्थिति का हो, कितना भी बड़ा धनपति हो अपनी अंतिम यात्रा की सम्पूर्णता के लिए उसे चार कन्धों की सहायता लेनी पड़ती है. ऐसे दृश्य सभी लोग आये दिन देखते ही हैं इसके बाद भी एक तरह की अनावश्यक अकड़ उनके व्यवहार में देखने को मिलती है. क्षणभंगुर जीवन की क्षणिक सफलता में किसी भी व्यक्ति को यह नहीं भूलना चाहिए कि अंतिम यात्रा में चार लोगों की आवश्यकता उसे पड़नी ही है. उन क्षणों में किसी तरह का अन्य पदार्थ, किसी तरह की आर्थिक शक्ति उसकी सहायता नहीं करने वाली. जीवन भर खुद को सेल्फ मेड पर्सन के गर्वीले भाव में लेकर घूमने-फिरने वाले को भी आखिर चार लोगों की जरूरत पड़ती है.


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वंदेमातरम्

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