दिसम्बर
माह में हिन्दू, सिख गौरवान्वित होते हैं सिखों के बलिदान पर.
क्या कभी विचार किया कि ये बलिदान किसके विरुद्ध लड़ते-लड़ते हुआ था?
वैसे
विचार कर न पाओगे क्योंकि तुम सब इस समय आन्दोलन के नाम पर उनके बर्गर, पिज्जा खाने में मस्त हो.
तुम
इसलिए भी विचार न कर पाओगे क्योंकि तुम्हीं में से वे हैं जिन्होंने देश बाँटने के
लिए खालिस्तान की माँग की थी.
तुम
इसलिए भी विचार न कर सकोगे क्योंकि देश के प्रधानमंत्रियों को ठोंकना तुमने अपनी वीरता
समझ लिया है.
असल में देखा जाए तो तुम लोग उस बलिदानी परम्परा के वाहक नहीं हो बल्कि तुम सब नपुंसक हो और किसी हिंसक, बर्बर समुदाय के साथ जुड़ कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो.
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वंदेमातरम्
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