11 दिसंबर 2020

आन्दोलन की आड़ में अराजकता फ़ैलाने की कोशिश?


ये चित्र इधर सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. यह दिल्ली में कथित रूप से किसान आन्दोलन के साथ जुड़ा हुआ कटाया जा रहा है. जिस दिन से इस आन्दोलन का आरम्भ हुआ था, उसी दिन से किसानों के नाम पर कभी मोदी को देख लेने की बात कही गई, कभी हिन्दू महिलाओं के लिए अशालीन बयान दिए गए, कभी खालिस्तान समर्थन के नारे, कभी पाकिस्तान के पक्ष में नारे सुनाई दे रहे थे. उसी समय से बराबर हमने कहा था कि ये किसानों का आन्दोलन नहीं बल्कि कृषि-व्यापारियों का आन्दोलन है. बहरहाल, वह चर्चा अलग है. यदि ये चित्र वाकई दिल्ली में चल रहे इसी आन्दोलन से सम्बंधित है तो वाकई चिंता का विषय है. सोचने वाली बात ये है कि किसानों का सम्बन्ध इन अलगाववादी लोगों से कैसे है? कृषि से सम्बंधित कानूनों से जुड़े बिन्दुओं, उनसे जुड़े लाभ-हानि का तख्तियों पर चिपके चित्रों से क्या लेना-देना?


किसानों के आन्दोलन का ऐसी बातों से जुड़ा होने का अर्थ समझ से परे है. किसानों की आड़ लेकर देश में या कहें कि देश की राजधानी में फिर से अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है. इस पूरे आन्दोलन में जिस तरह का मुस्लिम गठजोड़ देखने को मिला, सिखों का भेष धारण किये हुए मुस्लिम युवक पकड़े गए वह भी अपनी अलग कहानी कहता है. शाहीन बाग़ के बाद भी दिल्ली में उस स्तर की अराजकता शायद ये ताकतें नहीं फैला सकीं थीं जैसी कि वे चाहती थीं, इसलिए अब दोबारा कोशिश की जा रही है. ये सभी को मालूम है कि दिल्ली में होने वाली हलचल समूचे विश्व में देखी-सुनी जाती है. ऐसे में दिल्ली में अराजकता फैलने से सरकार की, प्रशासन की छवि पर नकारात्मक असर भी पड़ता है. किसानों के रूप में बैठे ऐसे कृषि-व्यापारियों, खालिस्तान समर्थकों, पाकिस्तान समर्थकों का उद्देश्य कृषि सम्बन्धी कानून में संशोधन नहीं बल्कि अराजकता के द्वारा देश को, सरकार को बदनाम करना है. इसका प्रमाण इस चित्र के माध्यम से (यदि ये चित्र सही है) लिया जा सकता है.


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वंदेमातरम्

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-12-2020) को   "मैंने प्यार किया है"   (चर्चा अंक- 3914)    पर भी होगी। 
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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