आज, 10 दिसम्बर 2020 को भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण तिथि के रूप में स्वीकारा जायेगा. आज का दिन संसदीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. इस दिन वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कर-कमलों से नवीन संसद भवन का भूमि पूजन संपन्न हुआ. नौ दशक से अधिक समय से जिस भवन में देश की संसद अपना कार्य करती आ रही है यदि सब सही रहा तो सन 2022 में ये सारी गतिविधियाँ नवीन संसद भवन में संपन्न हुआ करेंगीं. वर्ष 2022 में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगाँठ मनाये जाने के सुअवसर पर राष्ट्र को मिलने वाली यह अनूठी धरोहर निश्चित ही हमारे लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करने का कार्य करेगी.
नवीन संसद भवन के साथ-साथ अनेक इमारतों का निर्माण भी किया जाना प्रस्तावित है. नए संसद भवन का भूमि पूजन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि नए भवन का निर्माण समय और जरूरतों के हिसाब से बदलाव लाने का प्रयास है और आने वाली पीढ़ियाँ इसे देखकर गर्व करेंगी कि यह स्वतंत्र भारत में बना है. उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी है तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा. पुराने संसद भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ है तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएँ पूरी की जाएँगी. चार मंजिला नए संसद भवन का निर्माण 971 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 64500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है.
प्रस्तावित भवन में लोकसभा के सदन में कुल 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, वहीं संयुक्त सत्र में इसे 1224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा. राज्यसभा के सदन में कुल 384 सदस्य बैठ सकेंगे और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें भी जगह बढ़ाने का विकल्प रखा जाएगा. वर्तमान में लोकसभा सदन में कुल 543 सदस्य बैठ सकते हैं, वहीं राज्यसभा में कुल 245 सदस्य. इस नए भवन का निर्माण वर्तमान संसद के भवन की सीमित क्षमताओं के चलते किया जा रहा है. वर्तमान संसद भवन ब्रिटिश कालीन है. इसका शिलान्यास 1921 में हुआ था. वर्तमान में बहुत से सांसदों ने मॉडर्न और हाईटेक फैसिलिटी की माँग की है. वर्तमान संसद भवन को मॉडर्न कम्युनिकेशन और भूकंपरोधी सुरक्षा व्यवस्था के साथ अपग्रेड नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे इस 93 साल पुराने भवन को नुकसान पहुँच सकता है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा था कि इस पुराने संसद भवन को पुरातात्विक संपत्ति के तौर पर संरक्षित किया जाएगा.
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