27 नवंबर 2020

भविष्य की चिंता न करें, आज का आनन्द लें

आज से लगभग सात-आठ साल पहले हमारे एक मित्र ने हमसे सवाल किया था, हमारी बेटी की शिक्षा, उसके कैरियर को लेकर. उस समय बेटी की उम्र पाँच-छह वर्ष की रही होगी. उस समय तक हमने सोचा भी नहीं था कि बिटिया को क्या करवाना है, किस क्षेत्र में आगे बढ़ाना है. इस बारे में हमने अभी तक बस इतना सोचा है कि इंटरमीडिएट की परीक्षा के बाद पाँच साल का लॉ का कोर्स करवाएँगे. उसके बाद न्यायिक सेवा की तैयारी, यदि कहीं सही जगह चयन हो जाता है तो ठीक अन्यथा तीन-चार साल की तैयारी के बाद राजनीति में उतारेंगे उसे. फ़िलहाल तो हमारा यही सोचना है बाकी जो उसके मन का होगा, वही करवाएँगे. उस समय भी हमने अपने मित्र से यही कहा और साथ में यह भी कहा कि आने वाले एक दशक बाद की स्थिति के बारे में आज कैसे निर्णय ले लें? अभी जानकारी भी नहीं कि आने वाले एक दशक बाद कौन से कोर्स मान्य होंगे? कौन से चलते रहेंगे? कौन से सही रहेंगे?




उस समय की बात जैसे आज सही हो रही है. किसी ने इस साल के शुरू होने के समय भी नहीं सोचा होगा कि एक पल वो आएगा कि सभी शैक्षिक संस्थान बंद हो जाएँगे. सभी को ऑनलाइन पढ़ाई करनी होगी. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि लोगों की सामाजिक प्रस्थिति को दर्शाने वाले विवाह समारोह महज कुछ लोगों के बीच तक सिमट जाएँगे. ये स्थिति उन लोगों के लिए एक सबक है जो दशकों बाद की योजना बनाकर अपना वर्तमान ख़राब करते रहते हैं. यहाँ अगले पल की जानकारी नहीं होती है और हम आगामी कई-कई वर्षों के लिए योजनाएँ बनाते हुए परेशान होते रहते हैं. आज जिस तरह की स्थिति दिख रही है वैसी कल होगी या उससे बेहतर-बदतर होगी, कोई नहीं जानता.


आज भी बातों-बातों में आने वाले समय में शादियों की बात चली तो फिर वही जवाब सामने आया कि आने वाले एक दशक बाद की स्थिति के बारे में आज क्या कहें? विवाह सम्बन्धी बात उठी आज की प्री-वेडिंग शूट को लेकर. आज की ये नई स्थिति पता नहीं कल किस तरह के विवाह दिखाएगी? हाँ, अपनी बेटियों के विवाह के सम्बन्ध में ये अवश्य सोच रखा है कि उनकी शादी में तामझाम नहीं रखेंगे और विवाह समारोहों में लिखित व्यवहार वाली परम्परा को नहीं रखेंगे. बाकी आने वाले एक दशक की वैवाहिक स्थिति के बारे में आज आकलन करना कठिन है. कहो एक दशक बाद कोरोना जैसी कोई अलग स्थिति बनी हो तो शादी को गेस्ट हाउस से करने पर प्रतिबन्ध हो जाये. संभव है कि तब विवाह महज दस-बीस लोगों के साथ ही घर में संपन्न करवाए जाने जैसी स्थिति बने.


बहरहाल, ये सब आने वाले समय के गर्भ में हैं. इनके लिए आज चिंतित क्यों होना? आज इनके लिए क्यों सोचना? आज तो सिर्फ आज का आनंद उठाना है. हम भी उठा रहे, आप भी उठाइये.


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