छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है. यह लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. यह सूर्योपासना का भी महापर्व माना जाता है. यही एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते हुए सूरज के साथ-साथ अस्त होते सूरज की उपासना की जाती है. बिहार में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि ॠषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार ही बिहार में इस पर्व को मनाया जाता है. छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार कार्तिक तथा चैत्र मास की अमावस्या के छ: दिन उपरान्त होने के कारण इसका नाम छठ पर्व ही रखा गया है.
इस
पर्व को पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना गया है. इस पर्व को जल में,
तालाब, नदी आदि में मनाये जाने के पीछे का मुख्य
उद्देश्य जल-संरक्षण, जल-स्त्रोतों की साफ़-सफाई आदि भी है. यदि
इस पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन
होता है. इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा
में एकत्र हो जाती हैं. ऐसे में इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए भी कुछ कठोर नियमों
के साथ इस पर्व को मनाया जाता है.
इस
पर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है. इनमें पवित्र स्नान, उपवास
और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में
खड़ा होना, अर्घ्य देना आदि शामिल है. चूँकि छठ पर्व की पूजा किसी भी तरह से लिंग आधारित
नहीं है, इस कारण महिलाओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में पुरुष भी इस उत्सव में अपनी
सहभागिता करते हैं.
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