16 नवंबर 2020

जिम्मेवारी का भाव बोध

जिम्मेवारी शब्द का भाव जितना बड़ा है, उससे कहीं अधिक बड़ा भाव उसके निर्वहन का है. प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह जिम्मेवार बने मगर जिम्मेवारी के भाव से बचना चाहता है. जिम्मेवारी महज कुछ काम निपटाने वाली स्थिति नहीं है बल्कि इसमें एक तरह की गंभीरता छिपी होती है. जिम्मेवारियों के निर्वहन की स्थितियों के बीच कई बार हारने जैसी, कई बार जीतने जैसी मानसिकता से सामना करना पड़ता है. अक्सर ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जिम्मेवारियों का आकलन ऐसे लोग करने बैठ जाते हैं जिनका सम्बंधित जिम्मेवारी से सीधा जुड़ाव नहीं होता है. दूर बैठकर किसी भी कार्य का आकलन करने वाले, उसका विश्लेषण करने वाले लोग ही सही-गलत का निर्धारण करके किसी भी व्यक्ति को सफल, असफल सिद्ध करने लग जाते हैं. ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए, जो गंभीरता के साथ जिम्मेवारियों का निर्वहन कर रहा है उसे ऐसे लोगों से बचने की, सावधान रहने की आवश्यकता है.





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#कुमारेन्द्र

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