08 अक्टूबर 2020

साइबर अपराधियों से सतर्क रहने की आवश्यकता

वर्तमान में समाज के लगभग सभी कार्य इंटरनेट के माध्यम से होने लगे हैं. सरकार हो या आम आदमी, सरकारी संगठन हों या फिर निजी संस्थान, व्यापार हो या फिर नौकरी, शिक्षा हो या समाजसेवा सभी क्षेत्र आज इंटरनेट का लाभ उठा रहे हैं. इस लाभ के साथ अनचाहे ही बहुत से नुकसान भी समाज में दिखाई देने लगे हैं. इंटरनेट जहाँ एक तरफ लोगों को लाभान्वित कर रहा है वहीं दूसरी तरफ वह नुकसान भी पहुँचा रहा है. इस तरह के तमाम सारे नुकसान को साइबर क्राइम या फिर साइबर अपराध के नाम से जाना जाता है. सामान्य रूप में इंटरनेट पर किया जाने वाला कोई भी अपराधिक कार्य साइबर अपराध के अंतर्गत आता है. इस तरह के अपराध में हैकिंग तो शामिल है ही साथ ही बैंकिंग धोखाधड़ी, किसी का डाटा, जानकारी का चुराया जाना, किसी तरह की धोखाधड़ी करके किसी दूसरे के एकाउंट, ईमेल आदि को हैक कर लेना भी साइबर अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है.


साइबर अपराध में जिस तरह के कार्यों को मुख्य रूप से शामिल किया गया है, उनमें वित्तीय अपराध, अवैध सामग्रियों को बेचना, अश्लील सामग्री का प्रसार-प्रचार, बौद्धिक संपत्ति की चोरी, जालसाजी, आदि हैं. साइबर अपराध की श्रेणी में मुख्य रूप से हैकिंग को शामिल किया गया है. इसमें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के जानकार व्यक्ति द्वारा किसी कंप्यूटर को लक्ष्य करके उसके लिए सम्बंधित प्रोगाम का निर्माण किया जाता है. इसके बाद वे उस लक्ष्य कंप्यूटर में अपने प्रोग्राम के द्वारा एंट्री करके उस सम्बंधित कंप्यूटर से डाटा चोरी करते हैं. ऐसे हैकर्स का मुख्य लक्ष्य आर्थिक लाभ उठाना होता है. वे इसके लिए किसी अन्य व्यक्ति के कंप्यूटर में अवैध प्रवेश करके उसके कंप्यूटर से बैंक, क्रेडिट कार्ड, एटीएम आदि की सूचनाएँ हासिल कर लेते हैं. किसी व्यक्ति की आर्थिक सूचनाओं को चोरी करने के साथ-साथ ऐसे लोग बड़े-बड़े संस्थानों में भी सेंध लगाते हैं.




आर्थिक चोरी के साथ-साथ वर्तमान में इंटरनेट पर बहुत बड़ा बाजार पोर्नोग्राफी का है. बहुत सी वेबसाइट इसके लिए वयस्कों से सम्बंधित बने नियम-कानूनों का इस्तेमाल करके अपना कारोबार करती हैं मगर बहुत सी वेबसाइट ऐसी हैं जो बाल यौन सम्बन्धी सामग्री का प्रसार करती हैं. देखा जाये तो वैश्विक स्तर पर बाल यौन सामग्री का सर्वाधिक प्रसार इंटरनेट के माध्यम से हो रहा है.


इंटरनेट पर अश्लील सामग्री अत्यंत सुलभ है. आजकल हर हाथ में मोबाइल होने से औ हर हाथ में इंटरनेट होने से इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को किसी तक पहुँच बनाना कठिन काम नहीं रह गया है. बच्चे भी अब इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री से दूर नहीं रह पाते हैं. यौन अपराध में लिप्त लोग इसी कारण से यौन अपराध के लिए बच्चों को लक्ष्य करते हैं. इसके लिए वे बच्चों में अश्लील सामग्री, वीडियो, फोटो आदि प्रसारित कर उन्हें बहकाते हैं. ऐसी सामग्री को देखने के बाद बहुत से बच्चे भटक जाते हैं. यही बच्चे इन यौन अपराधियों के द्वारा जबरन यौन अपराध में लिप्त कर दिए जाते हैं.  


इन दो मुख्य अपराधों के अलावा साइबर अपराधी भ्रामक ईमेल भेजने के कार्य करता है, जिससे कि यूजर से निजी सूचना लेकर उसके एकाउंट से चोरी करने का प्रयास किया जाये. ईमेल के द्वारा सम्बंधित यूजर को बताया जाता है वह किसी और वेबसाइट में जाकर अपने बैंक की, अपने आधार कार्ड की, अपने पैन कार्ड की, अपने एटीएम की, अपने अन्य किसी दस्तावेज़ की जानकारी भर कर उसे अपडेट करवा ले. ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यूजर की समस्त जानकारियों को प्राप्त करना होता है. ऐसा करके साइबर अपराधी सम्बंधित यूजर के साथ धोखाधड़ी कर लेता है. इसके लिए साइबर अपराधी कई बार फोन कॉल करके ओटीपी अथवा अन्य गुप्त कोड को बताने की बात करता है.


अब जबकि इंटरनेट का उपयोग सर्व-सुलभ रूप से किया जाने लगा है और यह उपयोग हमारे दैनिक जीवन की दैनिक क्रियाओं की तरह हो गया है तो हम सबको इसके उपयोग में सावधानी बरतने की भी आवश्यकता है. यहाँ हमें ध्यान रखना होगा कि अपने किसी भी इंटरनेट खाते का पासवर्ड सरल नहीं बनाना चाहिए. हमें अपने खातों का पासवर्ड ऐसा बनाना चाहिए जिसे हैक करना सहज न हो. कभी भी अपने नाम, अपनी जन्मतिथि, अपने मोबाइल नंबर, अपने परिजनों के नाम आदि से सम्बंधित पासवर्ड नहीं बनाना चाहिए. ऐसे पासवर्ड को डिकोड करना आसान होता है.


इसके अलावा किसी को भी फोन पर अपने किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कार्ड का ओटीपी, पिन आदि नहीं बताना चाहिए. कई बार साईबर अपराधी स्वयं को सम्बंधित बैंकिंग संस्थान का व्यक्ति बताकर गुप्त कोड की जानकारी कर लेता है. इसके लिए ऐसी किसी भी तरह की कॉल आने पर पुलिस को सूचना दी जानी चाहिए.


इसी तरह से अपने सोशल मीडिया खातों के लिए, अपने बैंक खातों के लिए, अपने व्यापारिक खातों के लिए डबल स्टेप सुरक्षा व्यवस्था को लागू किया जाना चाहिए. इस व्यवस्था में लॉग इन करने पर मोबाइल पर एक गुप्त कोड तत्काल प्राप्त होता है. इस तरह की टू वे वेरिफिकेशन प्रक्रिया अपनाये जाने से भी बहुत हद तक साइबर अपराध को रोका जा सकता है.


इसके अलावा सबसे ऊपर जो बात है, वो ये कि हम सभी को सजग रहने की आवश्यकता है. हम इंटरनेट पर जो भी काम कर रहे हैं, उनसे सम्बंधित सुरक्षा उपायों को, क़दमों को अपनाते हुए ही आगे बढ़ें. किसी भी तरह के इंटरनेट कार्य को करने के पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह सुरक्षित है और साथ ही उस इंटरनेट सम्बन्धी कार्य से हम भी तो अनजाने में कोई साइबर अपराध तो करने नहीं जा रहे. ध्यान रखें कि सावधानी ही बचाव है.


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