सामाजिक
रिश्तों, संबंधों में आज चाहे जितना स्वार्थ आ गया हो, चाहे जितनी भौतिकता हावी हो
गई हो मगर आज भी दोस्ती को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है. समाज के अपने
विकासपरक आयाम भले ही बनते रहे हों मगर दोस्ती के आयाम उसी तरह पावन, पवित्र बने
रहे हैं. समय की बदलती गति में अक्सर कहा जाता है कि समाज में जिस तेजी से विकास दिखाई
दिया है, उसी तेजी से उसमें विकार भी नजर आते रहे हैं. कुछ न
कुछ ऐसा बना रहा है की संबंधों में, रिश्तों में बहुत कुछ
बिखरता सा नजर आ रहा है. समाज के बहुत से संबंधों को, रिश्तों को एक नाम दे दिया
जाता है मगर बिना किसी रक्त-सम्बन्ध के दोस्ती का अजब सा बंधन ही एक-दूसरे को
ताउम्र जोड़े रखता है. पवित्र माने जाने वाले रिश्ते में भी अब कहीं-कहीं गिरावट
देखने को मिल रही है. समाज में रिश्तों का, संबंधों का
बिखराव उसके सशक्त विकास के लिए सही नहीं है.
सामाजिक
जीवन में सदैव से कृष्ण-सुदामा की दोस्ती का उदाहरण दिया जाता है. इस उदाहरण देने
वाले समाज में अब आये दिन देखने में आता है कि एकदूसरे पर जान देने वाले दोस्तों
ने एकदूसरे की जान ले ली. सगे सम्बन्धियों से, रक्त-सम्बन्धियों
से बढ़कर माना गया ये रिश्ता भी अपनी पावनता को नष्ट कर रहा है. लड़कों के बीच की
दोस्ती हो, लड़कियों के बीच की दोस्ती हो या फिर लड़के और
लड़कियों के बीच की दोस्ती (हालाँकि इस विपरीतलिंगी दोस्ती के अभी समाज स्वयं ही
सकारात्मक सोच के साथ नहीं देखता है) सभी में एक दंभ सा दिखाई देने लगा है.
दोस्तों के बीच होने वाला हल्का-फुल्का हँसी-मजाक भी अब दोस्ती में दरार पैदा करने
की दम रखने लगा है. नितांत अनौपचारिक इस रिश्ते में भी घनघोर औपचारिकता देखने को
मिल रही है. एक दूसरे को अपना अभिन्न मित्र बताने वाले लोगों में आपस में छिपी
वैमनष्यता, कटुता, असहयोग, विश्वासघात जैसी कु-स्थितियाँ आज आम हो चुकी हैं.
ऐसा
नहीं है कि उक्त दोनों पवित्र रिश्ते पूर्णतः अपनी विश्वसनीयता गँवा चुके हैं. आज
भी हमारे बीच में सैकड़ों उदाहरण इस तरह के हैं जो अनुकरणीय कहे जा सकते हैं. इसके
बाद भी बहुसंख्यक रूप में इन संबंधों में गिरावट ही देखने को मिल रही है. किसी
अदृश्य डोर से बंधे, प्रेम-स्नेह की रक्त-मज्जा से बनी
रिश्तों की बुनियाद को आज के परिप्रेक्ष्य में बचाए रखना परम आवश्यक हो गया है.
नितांत खोखले होते चले जा रहे समाज को दृढ़ता प्रदान करने के लिए, खोते जा रहे विश्वास को पुनः प्राप्त करने के लिए, औपचारिकता
को जीवन का एक अंग बना चुके लोगों के बीच भावनात्मकता जगाने के लिए, मशीन की तरह से चलायमान इन्सान को संवेदित इन्सान बनाये रखने के लिए
रिश्तों का मजबूत होना, विश्वास्परक होना अनिवार्य है. आइये
संबंधों को मजबूत करें, रिश्तों को सशक्त करें, दोस्ती को पवित्र करें.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सार्थक और प्रेरक आलेख।
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