27 सितंबर 2020

प्रयास पिताजी की तरह की हस्तलिपि लेखन का

अपनी प्रशंसा सुनना किसे ख़राब लगता होगा? हमें भी नहीं लगता और खासतौर से उस प्रशंसा को अत्यंत सहज भाव से स्वीकार करते हैं जो हमारी हस्तलिपि (हैण्ड राइटिंग) को लेकर होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी इस राइटिंग को सुधारने के पीछे हमारे मन्ना चाचा (श्री नरेन्द्र सिंह सेंगर) तथा पिताजी (श्री महेन्द्र सिंह सेंगर) का योगदान है.


मन्ना चाचा की बैंक में सेवाओं का बहुत सारा समय कालपी, कोंच, कानपुर में बीता. इस कारण उनका नियमित रूप से उरई आना होता था. वे हम लोगों को बॉल पेन से लिखते देख लेते तो बहुत गुस्सा होते थे. फाउंटेन पेन से लिखने की आदत उनके द्वारा ही डलवाई हुई है. हम लोगों के लिए वे सुन्दर से फाउंटेन पेन भी लाया करते थे. (पेन इकठ्ठा करने का हमें जो शौक लगा है वो भी उन्हीं की देन कहा जायेगा क्योंकि उनके पास भी बहुत बेहतरीन पेनों का संग्रह आज भी है. इसमें कुछ विदेशी पेन भी शामिल हैं)


इसके अलावा किसी अक्षर को कैसे लिखा जाएगा, इसका अभ्यास पिताजी का लिखा हुआ देख कर किया करते थे. वकालत पेशे से सम्बद्ध होने के कारण पिताजी को बहुत से कागजों को लिखना होता था. बहुत से लिखे हुए कागज़ उनके द्वारा फाड़कर रद्दी में फेंके जाते थे. हम उन्हीं फटे टुकड़ों को उठाकर चोरी-चोरी पिताजी के बनाये अक्षरों की घंटों नक़ल किया करते थे.


आज फेसबुक पर टहलते हुए एक चैलेंज (#handwritingchallenge) दिखाई दिया. हमारे अनेक मित्रों ने, जो हमारी हस्तलिपि से परिचित हैं, हमारे प्रति अपना स्नेह व्यक्त किया. अपनी हस्तलिपि के पहले आज अपने पिताजी की हस्तलिपि के कुछ हिस्से आपके सामने. हमारा आज भी प्रयास रहता है पिताजी की तरह अक्षर बनाने का मगर बचपन से लेकर अभी तक सफल नहीं हो सके. कुछ अक्षर तो बन जाते हैं मगर कुछ अक्षर हमें मुँह चिढ़ाते हुए आगे बढ़ जाते हैं.





.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

4 टिप्‍पणियां:

  1. पिताजी की हस्तलिपि बहुत सुन्दर है; जिसे कहते हैं मोतियों जैसे अक्षर। आपकी हस्तलिपि भी साथ ही देते तो तुलना की जा सकती है कि आप अपने प्रयास में कितने सफल हुए।

    जवाब देंहटाएं
  2. आज की-बोर्ड ने हस्तलिपि को लगभग खत्म ही कर दिया है।
    सुन्दर सुस्पष्ट हस्तलिपि देख बहुत अच्छा लगा। अपनी भी लगायें।

    जवाब देंहटाएं