23 सितंबर 2020

शब्द-विस्तार और शब्द-संकुचन

हिन्दी साहित्य का अध्ययन करते समय पढ़ा था शब्द-संकुचन और शब्द-विस्तार के बारे में. बहुत से लोगों के लिए ये दो शब्द संयोजन भी आश्चर्य का विषय हो सकते हैं. शब्द-संकुचन और शब्द-विस्तार आजकल संभवतः किसी रूप में पढ़ाया नहीं जा रहा.


आज यहाँ फेसबुक पर चलाए जा रहे एक कपल चैलेंज के सन्दर्भ में ऐसा ही कुछ देखने को मिला. इस सोशल मीडिया ने ही नहीं बल्कि समाज ने इस कपल शब्द की परिभाषा ही बदल कर रख दी है. आज दिन भर की फेसबुक की भागदौड़ में यही नजर आया कि लोगों के लिए कपल का अर्थ महज पति-पत्नी से ही है. इसी को शब्द-संकुचन कहते हैं.


शब्द-संकुचन और शब्द-विस्तार के बारे में एक-दो उदाहरण देकर समझाएँगे तो सबकी समझ में आ जाएगा. हम सभी लोग एक शब्द निरंतर प्रयोग में लाते हैं और वह है तेल. इस शब्द का वास्तविक अर्थ है तिल से निकलने वाले तरल पदार्थ से. यह शब्द-विस्तार का उदाहरण है कि आज समाज में बहुत से तेल हम सभी इस्तेमाल करते हैं. सरसों का तेल, आँवले का तेल, गरी का तेल आदि-आदि. ये शब्द का विस्तार कहा जाता है जबकि किसी भी शब्द के अनेक अर्थ निर्मित हो जाएँ और चलन में आ जाएँ.


इसी तरह शब्द-संकुचन के रूप में हम कमल को देख सकते हैं. कमल के रूप में बहुत से नाम हमारे बीच हैं. सरोवर में खिले तो सरोज, कीचड़ में खिले तो पंकज, जल में खिले तो जलज मगर हम सभी को एक ही शब्द कमल से परिभाषित करते हैं.


कपल शब्द के अनेक अर्थ हैं जो युगल को, दो को, जोड़े को प्रदर्शित करते हैं मगर आज सभी ने पति-पत्नी की ही फोटो यहाँ लगाई. शब्द-संकुचन से शब्द की वास्तविक शक्ति कम हो जाती है. किसी भी दो के जोड़े को सामान्य अर्थों में कपल कहा जा सकता है. इसके बाद भी अंग्रेजी भाषा की संकुचित परिभाषा के चलते सभी लोग एक ही जगह पर अटके रहे.


फिलहाल तो सभी को अपने-अपने कपल की बधाई. बाकी हिन्दी का जो सामान्य सा ज्ञान हमारे पास था, उसे यहाँ बघार दिया. हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान किसी भी गलती के लिए हमें क्षमा करेंगे.


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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