18 सितंबर 2020

एहसासों की सिलवटें (काव्य संग्रह - किंडल संस्करण)

एहसासों की सिलवटें

चुभती नहीं

जब ले जाता है

यादों का झोंका

मधुर आगोश में

मीठे एहसास में.

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एहसासों की सिलवटें

दर्द भी देती हैं

जब तन्हाई हो साथ

हो अकेलेपन का एहसास

अतीत का सफ़र

कोई आए न नजर.

 

यदि ज़िन्दगी है, दिल है तो फिर मुहब्बत भी होती है, उसका एहसास भी होता है. प्रेम का एहसास प्रत्येक दिल को हुआ करता है. यह एहसास सदा-सदा के लिए उसके दिल के किसी कोने में सुरक्षित रह जाता है. समय के साथ-साथ यह एहसास अपने रूप-रंग को बदलता रहता है. समय की करवटें एहसासों की लकीरों को कभी फीका करतीं हैं तो कभी दिल पर और अधिक गहराई से अंकित कर देतीं हैं. यही लकीरें कभी सुखद भी लगती हैं, कभी मीठा सा दर्द जगाती हैं.

 

विचारों का, एहसासों का, प्रेम का सहज प्रस्फुटन दिल की मौलिक अभिव्यक्ति होती है. उसे न भाषाई सीमाओं की परवाह होती है और न ही व्याकरणिक बंधनों का मोह होता है. यह अभिव्यक्ति सिर्फ विशुद्ध पावन अभिव्यक्ति होती है. एहसासों की सिलवटें चाहे सुखद एहसास दें, चाहे दर्द का भाव पैदा करें दिल की अभिव्यक्ति स्वतः ही शब्दों का, रचनाओं का रूप धारण करके सामने प्रकट हो जाती है.

 

यह रचना गद्य में भी हो सकती है, पद्य में भी हो सकती है. तुकांत भी हो सकती है, अतुकांत भी हो सकती है. छंदबद्ध हो सकती है, छंदमुक्त हो सकती है. भावनाओं की अभिव्यक्ति किसी भी रूप में हो, एहसासों का प्रस्फुटन किसी भी प्रकार से हो वह महज रचना नहीं होती वरन एक कोमलकांत अनुभव से भी समृद्ध होती है. हृदय की संवेदनाओं से ओत-प्रोत होती है. प्रेम की पावन अवधारणा से रची-बसी होती है. इसे वही सहजता से आत्मसात कर सकता है जिसने किसी न किसी रूप में खुद को प्रेम की बारिश में भीग महसूस किया होगा.

 

प्रेम के पावन प्रतीक राधा-कृष्ण को पूजने-स्वीकारने वाले देश में प्रेम को लेकर अत्यंत संकुचित सोच देखने को मिलती है. प्रेम को महज शारीरिक आकर्षण से मुक्त करके देखने-स्वीकारने की आवश्यकता है. राधा-कृष्ण की प्रेमपरक बाँसुरी की धुनों से बिखरते शबनमी एहसास को हृदय की गहराइयों में बसाने का, सजाने का प्रयास करना चाहिए. इससे उपजी एहसासों की सिलवटें जिस भाव का बोध करवाएँ उसकी कोमलता में ज़िन्दगी के सौन्दर्य की आभा में स्वयं को आलोकित करना चाहिए.

 

एहसासों की सिलवटें चाहे मधुर आगोश में ले जाएँ या अकेलेपन की गोद में, वे व्यक्ति की अपनी हैं, उनसे बचना सहज नहीं. इसलिए उनके सौन्दर्य का रसास्वादन आइये हम, आप एकसाथ करें. इस बारिश में भीगें, इसकी मासूमियत में मुस्कुराएँ, इसके दर्द में आँखें नम कर जाएँ.

 

हृदय की भावनाएँ शब्द-रूप में आपके हाथों में सुशोभित हैं. आशा है कि वे आपको सुवासित करेंगी. आपके विचारों, प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी.

 



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