हिन्दी दिवस के बाद अब फिर सबकुछ सामान्य सा दिखाई दे रहा है. मानकीकृत देवनागरी के सम्बन्ध में एक दिन पर्याप्त चर्चा होने के बाद अब शांति है. देवनागरी मूलतः संस्कृत भाषा की लिपि है और अब इसे अनेक भाषाओं ने अपनाया है. हिन्दी को राष्ट्रभाषा का स्थान तो नहीं मिल सका है, हाँ वह राजभाषा अवश्य है और इसकी लिपि देवनागरी है. वर्तमान में हिन्दी देश-विदेश में व्यापक रूप से प्रयुक्त हो रही है. ऐसे में यह स्वीकारा गया कि यदि इसका मानकीकृत रूप शिक्षण और लेखन में न अपनाया गया तो वैश्विक स्तर पर इसके समझने में समस्या उत्पन्न हो सकती है. इसी के चलते वर्ष 1961 में वर्तनी आयोग का गठन किया गया. केन्द्र सरकार की निगरानी में यह कार्य हुआ और वर्ष 1980 में अंतिम सुझाव के साथ ही देवनागरी लिपि का मानकीकृत रूप जारी किया गया. इसमें सिफ़ारिश की गई कि भाषाई एकरूपता के लिए इनका ही अनुसरण किया जाए.
आइये देश में मानकीकृत देवनागरी के सम्बन्ध में, इसके लेखन के मानक तरीकों पर कुछ कदम अपनाये जाने की सिफारिश की गई है, उनको देखें. इसमें मानक वर्णमाला को इस प्रकार से अपनाया गया है.
1. मूल स्वर
अ इ उ ऋ
2. संयुक्त स्वर
अ + इ = ए
अ + उ = ओ
3. दीर्घ स्वर
आ ई ऐ औ
4. अनुस्वार
अं
5. विसर्ग
अः
6. नया जुड़ा स्वर
ऑ
7. नुक़्ता
उत्क्षिप्त और अरबी फ़ारसी अंग्रेज़ी मूल की ध्वनियों के लिए
8. व्यंजन
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
9. अंतःस्थ
य र ल व
10. ऊष्म
श ष स ह
11. उत्क्षिप्त ध्वनियाँ
ड़ ढ़
12. विशेष संयुक्त व्यंजन
क्ष त्र ज्ञ
13. नासिक्य व्यंजन (व्यंजनों वर्गों के पंचम वर्ण)
ङ ञ ण न म
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