31 जुलाई को पत्र दिवस मनाया गया. इस अवसर पर हमने कई मित्रों को पत्र लिखे.
सोशल मीडिया के दौर में, संचार तकनीकी विकास के दौर में बहुत से लोगों के लिए पत्र
लेखन एक अजूबे से कम नहीं है. सोशल मीडिया के बहुत से मित्रों ने अपने-अपने पते
भेजे, उन सभी मित्रों को तत्काल पत्र लिख दिए गए. पत्र लेखन हमारे लिए हमेशा से एक
शौक की तरह रहा है. हमें कभी भी पत्र लिखने में ऊबन नहीं हुई और न ही हमने कभी कभी
पत्र लिखने में संकोच किया. आज भी ये स्थिति है कि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित
रचनाओं पर पत्र लिख कर लेखकों को बधाई, शुभकामनायें देने का काम करते ही हैं. इसके
लिए उनसे परिचित होना हमारे लिए महत्त्वपूर्ण नहीं है.
पत्र
लेखन के लिए हमारा मानना है कि साहित्यिक विधा में पत्र लेखन एक ऐसी विधा है जिसके
द्वारा विचारों को ही नहीं वरन संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों आदि को एक पीढ़ी से
दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जा सकता है. आज भले ही तकनीकी के प्रसार के दौर में
संदेशों का, विचारों का तत्काल एक-दूसरे तक पहुँचना आसान हो गया हो मगर पत्रों के
द्वारा जिस तरह से भावनाएं, संवेदनाएं एक-दूसरे के बीच हस्तांतरित हुआ करती हैं,
वो बात आज के तकनीकी सन्देश माध्यमों में नहीं है.
बहुत
से मित्रों को पत्र मिले और बहुत से मित्रों को पत्र नहीं भी मिले. कोरोना काल में
जहाँ बहुत सी व्यवस्थाएँ ध्वस्त सी दिख रही हैं, उसी में डाक व्यवस्था का हाल भी
बहुत अच्छा नहीं है. पत्रों के न के बराबर आने-जाने से भी डाक व्यवस्था इस तरफ
लगभग सुस्त रहती है. ऐसे में अनेक मित्रों ने ऐसे संशय प्रकट किया है मानो हमने
उनको पत्र नहीं लिखा है. हमको जिन-जिन मित्रों के पते मिले हैं, उन सभी को हमने
पत्र लिख भी दिए हैं. अब वे अपने-अपने क्षेत्र के डाकिया से संपर्क साधे रहें और
पत्र का इंतजार करें. वैसे पत्र लेखन की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ पत्र
प्राप्ति के इंतजार का अपना ही एक अलग मजा है.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
अच्छा है पत्र लेखन का सिलसिला जारी रखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंमन हल्का कारने का बहाना भी है ये ...
सार्थक और सुन्दर।
जवाब देंहटाएंदूसरे लोगों के ब्लॉग पर भी टिप्पणी किया करो।
आपके यहाँ भी कमेंट अधिक आयेंगे।
हाँ। सच है। पर अब पत्र नहीं आता। मेल फ़ोन वॉट्सएप ही पत्र बन गए हैं। आपने अच्छा मनाया यह दिन।
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