ज़िन्दगी
कितनी भी आसानी से गुजर रही हो मगर उसमें एक लहर ही बहुत है हिलोर उठाने को. आखिर
ज़िन्दगी की झील में शांति क्यों नहीं रहती है? कभी वर्तमान, कभी अतीत आकर कोई न
कोई हलचल मचा जाता है. इस हलचल में ज़िन्दगी की शांत झील में उथलपुथल मच जाती है.
बहुत बार ऐसा होता है जबकि सबकुछ ख़ामोशी से गुजर जाता है और कई बार ऐसा होता है कि
सबकुछ आसानी से, ख़ामोशी से नहीं गुजरता है. यही स्थिति ज़िन्दगी में भी उथल पुथल
मचा देती है.
ज़िन्दगी
सिर्फ वर्तमान का नाम नहीं न ही सिर्फ भविष्य का रूप है बल्कि यह नितान्त अतीत के
ऊपर निर्मित स्थिति है. ऐसे में अतीत का डांवाडोल होना न केवल वर्तमान को प्रभावित
करता है बल्कि भविष्य की रूपरेखा को भी प्रभावित करता है. ज़िन्दगी के ऐसे उथल पुथल
क्षणों को संयमित रूप से देखने की, गुजारने की आवश्यकता होती है. अतीत के इन्हीं
पलों पर न केवल वर्तमान की बल्कि भविष्य की आधारशिला टिकी होती है. ऐसे में यह
बहुत महत्त्वपूर्ण होता है कि अतीत का सामना वर्तमान में, भविष्य में किस तरह से
किया जा सकता है. यही संवेदित होने की पहचान है, यही जागरूक होने की निशानी है.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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