06 जून 2020

दो खुराकें सब सही कर देंगी

आज मन कुछ उदास सा है. क्यों है ऐसा पता नहीं, बस कुछ करने का मन नहीं कर रहा. कुछ कर भी रहे हैं तो लग रहा जैसे सबकुछ यंत्रवत ही करना पड़ रहा है. इस अनमने मूड के चलते आज  कुछ विशेष भी नहीं किया जा सका. पूरा दिन बेकार ही निकला. सुरक्षात्मक कदमों के चक्कर में कदम घर के बाहर न निकाले और शाम भी ऐसी न थी कि कुछ करने को प्रेरित करती. आज पूरे दिन में न कुछ पढ़ा गया और न ही कुछ लिखा गया. इसी न लिखने, न पढ़ने, मूड सही न होने के कारण आसपास एक उदासी सी महसूस हो रही है.



इस उदासी को दूर करने के लिए गाने भी सुने जा रहे मगर वे भी इस समय रसीले समझ न आ रहे. गाने, संगीत हमारे साथ बहुत आरंभिक दिनों से रहा है. रेडिओ के साथ भी बहुत शुरुआत से बना रहा. बाद में हॉस्टल जाने पर भी इसका साथ न छूटा. आज भी सुबह आँख खुलने के बाद पहला काम रेडिओ का शुरू करना होता है. विविध भारती अपने रंग के साथ हमारे साथ रंग बिखेरती है. उसका यह रंग बिखेरना देर रात तक चलता रहता है.

पर आज कुछ समस्या है. शायद दिमाग में कोई केमिकल लोचा हो गया है. संभव है यह सुबह उठने के बाद ठीक हो. ऐसा होगा भी क्योंकि किसी भी तरह की परिचित समस्या हमें एक-दो घंटे से ज्यादा परेशान नहीं कर पाती है, यहाँ तो समस्या का नामोनिशान नहीं. बस मूड सही नहीं. सोचा इसी को लिखा जाये, शायद कुछ सही हो क्योंकि ऐसा होता है अक्सर हमारे साथ कि परेशानी को, मूड ख़राब को लिख दो तो कुछ देर बाद सब सही हो जाता है. कागज़-पेन का सहारा लेकर कुछ लिख चुके हैं. अब इस माध्यम से भी लिख दे रहे हैं. ये दो खुराकें सब सही कर देंगी.

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

2 टिप्‍पणियां:

  1. लिखना भी दवा ही है ... आशा है आपका मूड ऐन ठीक हो गया होगा ...

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  2. एक गाना याद आ रहा है ,कई बार यू भी देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है ,
    अच्छी पोस्ट ,भावुक स्तिथि को बयां करती

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