जनता
कर्फ्यू के दिन से यदि जोड़ लिया जाये तो लॉकडाउन जैसी स्थिति के दो महीने हो चुके
हैं. वैसे लॉकडाउन वास्तविक स्वरूप में 25 मार्च से आया था.
हमने उसी दिन दे स्केचिंग करना फिर से शुरू कर दिया था. किसी समय स्केचिंग खूब की.
स्कूल के समय में, कॉलेज में इसका भरपूर आनंद लिया. बाद में कुछ दूसरे कार्यों में
फँस जाने के कारण ये शौक धीरे-धीरे डिब्बे में बंद हो गया. यद्यपि स्केचिंग जैसी
कलाकारी लगातार चलती रही तथापि ऐसा किसी व्यवस्थित रूप में नहीं हो रहा था. किसी
भी कागज़ पर, किसी लिफाफे पर, ट्रेन में यात्रा करने के दौरान वातानुकूलित यान में
मिलते कागज़ के लिफाफे पर अथवा किसी और जगह. ऐसी स्केचिंग न हमारे पास रही और न उसे
संग्रहित करने की मंशा बनाई.
अब
जबकि लॉकडाउन के चलते घर पर ही रहना था. कब तक पढ़ा-लिखा जाता, कितना पढ़ा-लिखा जाता
तो विचार किया कि अपने इसी शौक को व्यवस्थित रूप दिया जाये. बहुत पहले अपनी
स्केचिंग की फाइल बनाई थी मगर उसे एक बिटिया को उसके शौक को देखते हुए गिफ्ट कर
दिया था. इस बार लॉकडाउन शुरू होने वाले दिन से अद्यतन स्केचिंग की जा रही है. सभी
को व्यवस्थित रूप से रखा भी जा रहा है. इन स्केच में से कुछ को सोशल मीडिया पर
अपने मित्रों के बीच शेयर भी किया जा रहा है. इस बारे में कुछ सुझाव भी मिले हैं,
जिन पर अमल किया जा रहा है. इसी के बीच एक विचार में आया. बस उसे सक्रियता से शक्ल
देनी है.
चलिए,
पहले अपने लोगों के कुछ विचारों से आपको भी अवगत करा दें. हमारे बचपन के मित्र हैं
राहुल शर्मा, लॉकडाउन स्केचिंग को देखकर अगले ने ही सबसे पहले एक सुझाव दिया था कि
हर एक स्केच के बारे में कुछ लिखा करे. क्यों बनाया उसे? उसे बनाते समय क्या विचार
आये? उस स्केच में जो है उसका क्या भावार्थ है? आदि-आदि. इसके अलावा एक अभिन्न
मित्र सुभाष के द्वारा कहा गया कि स्केच के साथ कोई न कोई कैप्शन दिया करिए.
हालाँकि ऐसा आरंभिक स्केच में किया गया मगर बाद में इसको अमल में नहीं लाये. इसी
तरह से लगभग एकसाथ मित्रवत स्थिति में आये अनुज और हेमलता ने एक जैसे विचार दिए.
दोनों लोगों का कहना था कि इन सभी स्केच को एक फाइल का रूप दिया जाना चाहिए.
संभवतः वे लोग हमारे स्वभाव से परिचित हैं, इसलिए ऐसा उनको सुरक्षित रखने के लिए
कहा होगा. इसी के साथ-साथ वर्तमान में लन्दन में निवास कर रही बड़ी बहिन अनुजा दीदी
ने उन सभी स्केच की तारीफ करते हुए अपनी अगली भारत यात्रा के बाद उसमें से कुछ
अपने साथ लन्दन ले जाने की बात कही. और भी कुछ विचार आये जो स्केच की तारीफ में ही
थे. स्थानीय महाविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक डॉ० रामशंकर द्विवेदी जी का कहना
था कि अगर चित्रकला में ही कैरियर बनाते तो भी शायद बुरा न होता. अब भी मुख्य काम से
इतर अगर इसे समय दिया जाय तो अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग अच्छा ही होगा. मयूरेश ने एक
स्केच को देखकर Salvador Dali जैसी पेंटिंग कह डाला. साथ ही
मूंछों को उनके जैसा रखने की सलाह भी दी.
अभी
तो ये स्थिति लॉकडाउन की है. आगे पुनः सामाजिक जीवन में सक्रिय होने के बाद इस पर
कितना समय दिया जा सकेगा, यह भविष्य के गर्भ में है. लॉकडाउन में अभी तक 80
से अधिक स्केच बना ली हैं. किसी-किसी दिन दो, तीन भी बना डालीं. उक्त
विचारों-सुझावों-टिप्पणियों के अलावा हमारा विचार ये आया कि इनमें से सबसे अच्छी
लगने वाली 50-60 स्केच का चयन करके प्रत्येक पर एक छोटी सी
कविता लिख दी जाये. कविता हस्तलिपि में होगी और दोनों (स्केच तथा कविता) को ब्लॉग
के द्वारा प्रकाशित कर दिया जाये. यह पुस्तकाकार रूप में भी लाई जा सकेगी.
हाल-फिलहाल तो पाठकों की माँग पर इसे PDF रूप में भी उपलब्ध
करवाया जा सकता है. इससे और भी बहुत से लोगों को स्केच तथा कविता से लाभान्वित होने
का अवसर मिलेगा.
इस
बारे में जल्द ही ब्लॉग का नाम तय किया जायेगा. नाम ऐसा रखा जायेगा, जिसको पुस्तक
के शीर्षक के रूप में भी समायोजित किया जा सके. इसके साथ-साथ कोशिश यह होगी कि नाम
स्केच और कविता को भी परिभाषित करता हो. चलिए, अब इस काम पर भी लगा जाये, बस आप शुभेच्छुजन
अपनी भी राय दे दीजिए कि कैसा विचार है हमारा?
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
उत्तम विचार।
जवाब देंहटाएंसही समय पर सही काम करने के लिए सोचा ,उत्तम विचार ,इस तरह अपनी कला को दोबारा शुरू कर सकते है आप ।
जवाब देंहटाएंइंसान बहुत से काम सहेज सकता है...असल जीवन यही है कि उसे खुद को व्यक्त करना आए। अच्छा लेख।
जवाब देंहटाएंरचनात्मक और सकारात्मक व्यक्ति के लिए हर चुनौती एक नया अवसर होता है राजा साब। फिर आप तो सर्वगुण संपन्न मित्र हैं आपकी लेखनी के साथ आपकी स्केचिंग के भी कायल हो गए हम। बहुत शुभकामनायें आपको
जवाब देंहटाएंलेखन के साथ आपकी चित्रकारी से भी परिचित होने का अवसर मिला, आप चित्रकारी में भी उत्कृष्ट कार्य करेंगें।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीय।