उस
दिन हमारी ज़िन्दगी का वो यू-टर्न तो नहीं था; हाँ एक अवरोध जैसा अवश्य था; एक
डायवर्जन जैसा अवश्य था. उस एक पल ने जीवन के बहुत से रंग दिखा दिए. हर पल में
सैकड़ों कहानियाँ सुनाने वाली ज़िन्दगी ने उस एक पल में सैकड़ों कहानियाँ दिखा दीं. अनिश्चितता
भरी ज़िन्दगी में अनिश्चितता ही अनिश्चितता भर दी. एक पल में ज़िन्दगी ने अनेक रंग
भले ही दिखाए हों पर उस समय हमारे पल में सिर्फ लाल रंग भरा था जो काले रंग के
आवरण में हमें ढाँकने को लगातार फैलता जा रहा था. कहानियों भरे पल के साए में वो
पल किसी कहानी का हिस्सा नहीं बल्कि खुद कहानी जैसा हो गया था.
कहानी
ढलते दिन में खुद को समेटने की. कहानी उखड़ती साँसों को एकत्र कर एक और साँस भरने
की. कहानी असहनीय दर्द के बीच हँसने-मुस्कुराने की. कहानी काँपते हाथों को कांपती
हथेलियों के बीच थामकर सांत्वना देने की. कहानी पल-पल अपनी तरफ बढ़ती मौत को हर पल
दूर भगाने की. कहानी गिर कर फिर सँभलने की. कहानी लड़खड़ाते क़दमों को मंजिल तक
पहुँचाने की. कहानी खुद को एक बार फिर साबित कर पाने की. कहानी अनेक आँखों में
उभरे सवालों का जवाब बन जाने की. कहानी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने की. कहानी
अनिश्चय की धुंध के बीच ज़िन्दादिली की रौशनी भरने की. कहानी ज़िन्दगी को ज़िन्दाबाद
कहे जाने की. कहानी न होकर भी खुद एक कहानी बन जाने की.
अंततः
उस वास्तविकता को, उस विभीषिका को, उस दुर्घटना को स्वीकारते हुए जीवन-यात्रा नए
सिरे से फिर आरम्भ कर दी गई. नए सिरे से इसलिए क्योंकि उस एक पल ने बहुत पीछे ले
जाकर खड़ा कर दिया था. बैठना, खड़े होना, चलना, काम करना, लिखना आदि-आदि नए सिरे से
सीखा जाने लगा. इस अभ्यास में कई-कई बार बिखरना होता फिर अगले पल आत्मविश्वास,
आत्मबल के मिले-जुले मिश्रण के साथ खुद को जोड़ने का काम भी आरम्भ होता. उस दिन से
शुरू हुआ बिखरना-सहेजना, टूटना-जुड़ना, रोना-हँसना, गिरना-उठना, बिगड़ना-बनना,
हारना-जीतना आज भी बना हुआ है.
ये
सब ज़िन्दगी के रंग हैं. ये सब ज़िन्दगी की कहानियाँ हैं. इनके साथ उल्लासित रहना
है. इनके साथ रंगीन रहना है. हतोत्साहित नहीं होना है. विश्वास को कमजोर नहीं पड़ने
देना है. आखिर ज़िन्दगी अपनी है मगर सिर्फ अपने लिए नहीं है. ज़िन्दगी सिर्फ डराती
नहीं वरन सिखाती भी है. वह सिर्फ कष्ट ही नहीं देती वरन मंजिल तक पहुँचाती भी है. बस...
ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद का जयघोष करते हुए आगे बढ़ना है. एक और नई मंजिल की खोज
करना है. उस मंजिल के आगे भी बढ़ना है.
कभी हसरत थी आसमां छूने की,
अब तमन्ना है आसमां पार जाने की.
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यह ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद का आरम्भ है. आप सबके बीच इसकी जानकारी
प्रेषित करने के उद्देश्य से यह पोस्ट लिखी गई है. ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद को आप इसके ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं. आशा है कि आप सबका स्नेह, आशीर्वाद अवश्य मिलेगा. अभी ज़िन्दगी
ज़िन्दाबाद को लिखने की योजना साप्ताहिक है. भविष्य में जिस तरह से आप सभी का
स्नेह, दुलार, आशीर्वाद प्राप्त होगा, उसी के अनुरूप इसकी आवृत्ति पर भी विचार
किया जायेगा.
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