प्रकृति
ने जितने रंग अपने में समाहित कर रखे हैं, वे सभी इस ज़िन्दगी में देखने को मिल
जाते हैं. इन रंगों में हँसी के, ख़ुशी के, रोने के, ग़म के, याद रखने के, भूलने के,
अपनों के, गैरों के, जीत के, हार के आदि-आदि समाहित रहते हैं. इन रंगों के साथ
सह-सम्बन्ध बनाकर खुद को रंगीन बनाये रखने का नाम ही ज़िन्दगी है. ज़िन्दगी के इन
तमाम रंगों को हमने बहुत करीब से देखा है, महसूस किया है, उनमें खुद को रंगे पाया है.
जैसे
व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में किसी न किसी तरह के रंगों से आनंदित होता
रहता है, उसी तरह उसे ज़िन्दगी के रंगों का भी स्वागत करना चाहिए. जैसे व्यक्ति
अपने मनोनुकूल रंगों का चुनाव करता है, वैसे ही ज़िन्दगी भी व्यक्ति के मन को
जांचने-परखने के लिए रंगों का चुनाव करके उसके पास भेजती है या कहें ज़िन्दगी खुद
को उन्हीं रंगों में रंगने का प्रयास करती है.
ज़िन्दगी
के इन्हीं तमाम अच्छे-बुरे रंगों को अपने बहुत निकट पाया है. इनके द्वारा ज़िन्दगी
को रंगीन होते ही देखा है. न प्रकृति के रंगों को बेनूर माना है ठीक वैसे ही ज़िन्दगी
से मिलते रंगों में भी जीवंतता भरने की कोशिश की है. ज़िन्दगी को पूरी जिंदादिली से
जीने की कोशिश की है. सोचने वाली बात है कि यदि चार दिन की ज़िन्दगी मिली है तो उसे
रोकर क्यों बिताया जाए. हँसते हुए ज़िन्दगी के साथ जिंदादिली से यात्रा की जानी
चाहिए. आखिर ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद है, रहनी चाहिए.
ज़िन्दगी
जिन्दाबाद के रूप में अपने जीवन के कुछ मिले-जुले रंगों से आपको रंगने जल्द ही आ
रहे हैं. इस यात्रा में आप ऑनलाइन हमारे साथ रह सकते हैं. इस यात्रा के रंग अभी
हाल-फिलहाल सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर बिखेरे जायेंगे. आप भी इस फुहार
में, इस रिमझिम में शामिल होकर हमारे साथ बोलिए, ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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