प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं. सोशल मीडिया पर विभिन्न मंचों पर
उनके फॉलोअर की संख्या बहुत अधिक है. ट्विटर पर भी उनके 53.3 मिलियन फॉलोअर हैं. वे खुद तो सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहते ही हैं,
लोगों को भी इन मंचों का लाभ उठाने की, इनसे जुड़ने की प्रेरणा देते हैं. अभी दो
दिन पहले उनके एक ट्वीट ने उनके समर्थकों, फॉलोअर को परेशान कर दिया. प्रधानमंत्री
जी ने ट्वीट करते हुए लिखा “इस रविवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब को छोड़ने की सोच रहा
हूं. आप सभी को आगे जानकारी दूंगा.” इस ट्वीट के बाद यहाँ नो सर टॉप ट्रेंड करने
लगा. इसके बाद मोदी जी के एक अन्य ट्वीट से जानकारी मिली कि वे 08 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर सोशल मीडिया के अपने सारे एकाउंट किसी ऐसी
महिला के हवाले करेंगे जिसने वास्तविक में प्रेरणा देने का काम किया हो.
ये
तो आठ मार्च के बाद पता चलेगा कि मोदी जी आगे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं अथवा
नहीं मगर उनके इस तरह के ट्वीट ने उन तमाम बिन्दुओं की तरफ इशारा भी किया जो सोशल
मीडिया में जाने-अनजाने झलकते रहते हैं. सोशल मीडिया के विभिन्न मंच विदेशों
द्वारा संचालित हो रहे हैं. इन सभी का मुख्य सर्वर विदेशों में ही है. ऐसे में हम
सभी जाने-अनजाने में, चाहते या न चाहते हुए भी अपनी जानकारियाँ विदेशी हाथों में
दे दे रहे हैं. किसी समय में ये कभी-कभी हुआ करता था मगर वर्तमान में ज्यादातर
पोस्टों में, चित्रों में, वीडियो में आपसी वैमनष्य, धार्मिक विभेद, जातिगत विभेद,
एक-दूसरे पर हमला, हिंसा, अत्याचार, अशालीनता, अश्लीलता आदि देखने को मिलती है. इन
पोस्टों के द्वारा, अपनी अभिव्यक्ति के द्वारा कहीं न कहीं हम अपने देश की, अपने
समाज की, यहाँ के धर्मों की, यहाँ की जातिगत जानकारियाँ विदेशी हाथों तक सहजता से
पहुँचा दे रहे हैं. अनेक बार ऐसे अवसर भी आये जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित
जानकारियाँ भी सोशल मीडिया में शेयर कर दी गईं. इसके साथ-साथ अतिशय जल्दबाजी में,
सबसे पहले हम की स्थिति के लिए हमारे द्वारा भ्रामक जानकारियाँ, आँकड़े भी शेयर हो
जाते हैं. इसमें भी फोटोशॉप की हुई जानकारियाँ अत्यधिक होती हैं. इसी तरह दाम्पत्य
जीवन के गोपन भी अब सोशल मंचों पर देखने को मिलते हैं.
ऐसी
स्थिति में नरेन्द्र मोदी जी का सोशल मीडिया को छोड़ने का सोचना भी अपने आपमें एक
सन्देश देता है. यद्यपि किसी भी सोशल मंच पर वे बहुत ही सीमित लोगों को फॉलो करते
हैं तथापि किसी अन्य माध्यम से उनके पास सोशल मीडिया पर फैली अनर्गल पोस्ट पहुँचती
होंगी तो निश्चित ही उनको भी हमारी तरह खीझ उठती होगी, गुस्सा आता होगा. इसके
अलावा वे सोशल मीडिया की शक्ति को पहचानते हैं, इसकी जड़ों को भी जानते होंगे, इसके
माध्यम से हमारी जानकारियों का गलत हाथों में चले जाना भी वे समझ रहे होंगे, सो
जाहिर है कि वे कुछ सन्देश ही देना चाहते होंगे. सामाजिक क्षेत्र में कार्य करता
हुआ कोई भी संवेदनशील व्यक्ति सहज ही बता देगा कि आने वाले समय में
अस्त्रों-शस्त्रों से युद्ध कम होंगे, अब आने वाला समय सूचनाओं के साथ, जानकारियों
के द्वारा लड़ने का है. कौन किस स्थिति में जानकारियों में समृद्ध है, कौन किसकी
जानकारियों का, सूचनाओं का सदुपयोग या दुरुपयोग अपने सन्दर्भ में कर सकता है, यह
महत्त्वपूर्ण होगा. ऐसे में आवश्यक है कि सोशल मीडिया में भारतीय मंचों का निर्माण
हो. इनका मुख्य सर्वर हमारा अपना हो, हमारी सूचनाओं का केन्द्र भी हमारा देश हो.
इसी के साथ-साथ सोशल मीडिया की स्वतंत्रता पर भी किसी तरह का सम्पादकीय नियंत्रण
लगाया जाये. इसकी खुलेहस्त मुक्तता ने इसे उन्मुक्त बना दिया है. बिना किसी शर्म,
लिहाज के अशालीन सामग्री, चित्र, वीडियो बड़ी मात्रा में शेयर, पोस्ट किये जाते
हैं.
संभव है कि मोदी जी का ऐसा सोचना एक संकेत मात्र हो और उनकी कोई योजना भारतीय स्वरूप का सोशल मंच निर्मित करवाने की रही हो. आने वाला समय क्या करवट लेगा कहा नहीं जा सकता है क्योंकि मोदी जी भावी रणनीति के आधार पर ही अपने निर्णय लेते हैं. न केवल निर्णय लेते हैं वरन उन पर ठोस और सक्रिय अमल भी करते हैं.
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