25 मार्च 2020

जैसी जिसके भाग्य लिखी

किसी व्यक्ति का जन्म जितना बड़ा सच है, उससे कहीं अधिक बड़ा सच उसकी मृत्यु भी है. चर हो या अचर, जीव हो या वनस्पति सभी के जन्म के साथ ही उसका मरना सुनिश्चित हो जाता है. इन्सान के जीवन में क्या-क्या घटित होगा, क्या-क्या नहीं, क्या-क्या वह कर पायेगा, क्या-क्या नहीं, कितनी सफलता उसे मिलेगी, कितनी असफलता उसके साथ है इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता मगर ये अवश्य कहा जा सकता है कि इसकी मृत्यु निश्चित है. मरना प्रत्येक व्यक्ति को है. ये अलग बात है कि उसकी मृत्यु कब, कहाँ, कैसे हो.

इस देश में मौत को लेकर तमाम दार्शनिक विचार समय-समय पर दिए जाते रहे हैं. लेखकों ने भी इस पर अपनी दार्शनिकता दिखाई है तो साधू-संतों ने भी अपने विचार रखे हैं. बहरहाल, आज जबकि सकल विश्व कोरोना वायरस से जूझ रहा है, ऐसे में भी लोग सजग नहीं हैं. लॉकडाउन जैसी स्थिति होने के बाद भी लोग अनावश्यक बाजार में टहल रहे हैं. जिन-जिन को बाजार में नहीं निकलने को मिल रहा वे अपनी गलियों, मोहल्ले में अड्डेबाजी करने में लगे हुए हैं. सरकार, परिजन, मित्र, सहयोगी, डॉक्टर्स आदि-आदि सहित वैश्विक संस्थाएँ भी लगातार अपील जारी कर रही हैं कि लोग घरों में ही रहें. अनिवार्यता जैसी स्थिति में ही घर से बाहर निकलने का प्रयास करें. सरकार की तरफ से भी लगातार इसके प्रयास किये जा रहे हैं कि लोगों को आवश्यक वस्तुओं की, राशन सामग्री की कमी न होने पाए.

इसके बाद भी जब लोग घरों में न रहकर अनावश्यक घूमते दिखाई देते हैं तो मौत के सम्बन्ध में चले आ रहे दार्शनिक विचार दिमाग में कौंधने लगते हैं. कहते हैं कि सभी की मृत्यु पहले से निश्चित है. कोई कुछ भी कर ले, कितने भी जतन कर ले मगर जिस व्यक्ति की मृत्यु जैसे लिखी है, वैसे ही होती है, उसी स्थान पर होती है, उसी निश्चित तिथि में होती है. यदि ये वाकई सत्य है तो फिर जो लोग कोरोना जैसी महामारी की विभीषिका देखने के बाद भी, रोज ही संक्रमित लोगों की, मरने वालों की संख्या देखकर भी घरों में नहीं रहना चाहते तो उनके लिए यही कहा जा सकता है कि उनको उसी भाग्य के भरोसे, नियति के हवाले कर देना चाहिए. यदि उनकी मौत कोरोना से होना ही लिखी है तो उसे कोई नहीं रोक सकता. वे चाहे घर पर रहें या घर से बाहर, यदि उनको कोरोना से ही मरना लिखा है तो ऐसा ही होगा.

फिर ऐसे में आप अनावश्यक परेशान न हों. अपना दिमाग न खर्च करें. उनको, जो अनावश्यक टहल रहे हैं, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दें. उनको घर में न घुसने दें. सड़क को, बाजार को ही उनका ठिकाना बनवा दें. इसी बारे में महज दो पंक्तियाँ कहीं हैं... 
सबकी चिंता क्यों करते हो
बस अपना ध्यान रखो ना, 
जैसी जिसके भाग्य लिखी 
उस मौत का नाम कोरोना.



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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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