सीएए
को लेकर देश भर में तमाम राजनैतिक दलों के साथ-साथ मुस्लिम भी विरोध में हैं. देश
भर में इसे लेकर हिंसा, उपद्रव होते रहे हैं. कोरोना वायरस की महामारी के चलते
दिल्ली में सड़क जाम किये बैठे शाहीन बाग़ के विरोधियों को भी वहाँ से हटा दिया गया
है. अब खुले रूप में कहीं भी इसका विरोध नहीं दिखाई दे रहा है. वर्तमान में ये
विरोध ऊपरी तौर पर भले ही देश में न दिखाई दे रहा हो मगर मुस्लिम समुदाय के लोगों
के दिमाग से विरोधी मानसिकता अभी भी गई नहीं है. अभी हाल में ऐसी घटनाएँ सामने आईं
हैं जिनमें ऐसा देखने को मिला है. घटनाएँ भी सामान्य नहीं कही जा सकती हैं.
हाल-फिलहाल
हमारी अपनी निगाह से दो घटनाएँ ऐसी सामने आई हैं जिनमें सीएए का विरोध मुसलमानों
में दिखाई दे रहा है, जबकि समय और स्थिति के अनुसार ऐसा किया जाना शर्मनाक कहा
जाना चाहिए. ऐसी ही एक घटना में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के असिस्टेंट
प्रोफेसर अबरार अहमद ने अपने गैर-मुस्लिम विद्यार्थियों को फ़ेल कर दिया था. इसका
कारण उन विद्यार्थियों का सीएए का समर्थन करना रहा है. इसे उन्होंने स्वयं अपने एक
ट्वीट के द्वारा व्यक्त किया.
अपने
ट्वीट में उन्होंने कहा “15 गैर मुस्लिमों को छोड़कर मेरे सभी छात्र पास हो गए हैं.
अगर आप सीएए के खिलाफ आंदोलन करते हैं तो मेरे पास सीएए के पक्ष में 55 छात्र हैं. अगर आंदोलन खत्म नहीं हुआ तो बहुमत
आपको सबक सिखाएगा. कोरोना के चलते आपके आंदोलन के चिह्न मिट गए हैं. मैं हैरान हूं
कि आपको मुझसे नफरत क्यों है?”
मामला
तूल पकड़ने के बाद यूनिवर्सिटी ने उनको सस्पेंड कर दिया और जांच शुरू हो गई है. समझने
वाली बात है कि यदि शिक्षक ही इसी तरह की विभेदपूर्ण मानसिकता रखेंगे तो
विद्यार्थियों के साथ न्याय कैसे हो सकेगा? प्रशासन और जनता को खासतौर पर अभिभावकों
को अपने आस-पास ऐसी बातों का संज्ञान लेना चाहिए.
इसी
तरह एक अन्य घटना में कोरोना वायरस संक्रमण से रोकने के लिए विभिन्न समुदाय,
संस्था के लोग मास्क का, दवाइयों का, सेनेटाइजर आदि का वितरण कर रहे हैं. इसी में
मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों की तस्वीर सामने आई है जिसमें कि वे कोरोना से बचाव
के लिए मास्क का वितरण कर रहे हैं. विभेद इस वितरण से नहीं अपितु उस मानसिकता से
है जो इसके पीछे दिख रही है. उनके द्वारा वितरित किये जाने मास्क में No
CAA छपा हुआ है. सोचने वाली बात है कि आखिर महामारी के इस संकट भरे
समय में भी उनकी मानसिकता सहायता करने की बनी तो भी एक विभेद के साथ.
सरकार
को, प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर निगाह डालते हुए कार्यवाही करनी चाहिए जिससे सामाजिक
सद्भाव न बिगड़ने पाए.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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