रविवार
के अभूतपूर्व जनता कर्फ्यू के बाद का सोमवार उसी तरह आया जैसे कि शनिवार गया था. बाजार
में सोमवार को ऐसा कतई नहीं लगा जैसे चंद घंटे पहले इन्हीं सड़कों पर सन्नाटा पसरा
हुआ था. लग नहीं रहा था कि महज एक दिन पहले मोदी जी की एक अपील पर देशवासियों ने
पूरी तरह बंदी रखी थी. सोमवार को कई जगहों पर लॉकडाउन किया गया मगर जनता द्वारा
उसे जैसे स्वीकारा नहीं गया. प्रशासन द्वारा बार-बार सबको समझाया जा रहा कि दैनिक
आवश्यकताओं की आपूर्ति बाधित नहीं होगी इसके बाद भी सड़कों पर भीड़ बनी ही रही.
मजबूरी में सरकार को कई राज्यों में सीमाओं को बंद करना पड़ा, कई राज्यों में
कर्फ्यू लगाना पड़ा.
आज
सोमवार को केरल में कई नए संक्रमित पाए गए. कुछ और राज्यों में भी नए मरीज मिले.
मौतों की संख्या भी बढ़ी. क्या हम शेष विश्व की हालत देख कर भी नहीं समझेंगे? क्या
हम अनेकानेक मौतों के बाद सजग होंगे? अभी भी समय है. हम अपने आपमें सीमित रहें,
अपने घर में कैद रहें. यही कैद ही हमें ज़िन्दगी देगी.
.#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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